पहले इनकार, फिर इकरार... नीतीश के टोपी पहनने के पीछे क्या संदेश?
News Image

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दो वीडियो इन दिनों राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं. ये वीडियो मुस्लिम वोट बैंक को लेकर बहस छेड़ रहे हैं. क्या नीतीश कुमार एक बार फिर उस मुस्लिम मतदाता वर्ग को अपने पाले में लाना चाहते हैं जो कभी उनके साथ मजबूती से जुड़ा रहा था?

पहले वीडियो में, नीतीश कुमार अपने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान के साथ दिखाई देते हैं. जमा खान नीतीश कुमार को एक जालीदार टोपी पहनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन नीतीश कुमार खुद टोपी पहनने से इनकार कर देते हैं और उसे वापस जमा खान को पहना देते हैं.

इसके कुछ ही दिनों बाद एक और वीडियो सामने आया जिसमें नीतीश कुमार खुद टोपी पहनकर बिहार शरीफ स्थित खानकाह में चादरपोशी करते नजर आ रहे हैं. यह वीडियो पहले वाले वीडियो के बिल्कुल उलट है.

इस घटना को लेकर राजनीतिक विश्लेषक अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं. कुछ का मानना है कि यह नीतीश कुमार की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है. वे संभवतः यह संदेश देना चाहते हैं कि वे दिखावे की राजनीति से दूर रहते हैं, लेकिन साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय के साथ खड़े हैं.

बिहार का चुनावी रण और मुस्लिम समीकरण महत्वपूर्ण हैं. राज्य की 87 सीटों पर 20% से अधिक मुस्लिम आबादी है, और 47 सीटों पर 15 से 20% मुस्लिम आबादी विधायकों का भविष्य तय करती है.

जदयू को पहले मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन मिलता रहा है. 2015 में जदयू के 7 में से 5 मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे, लेकिन 2020 में जदयू के 11 मुस्लिम उम्मीदवारों में से कोई भी नहीं जीत पाया.

पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू का कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका था. इसी स्थिति को देखते हुए, बसपा से जीते जमा खान को जदयू में शामिल कर उन्हें अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बनाया गया था. यह कदम साफ तौर पर मुस्लिम मतदाताओं को साधने की रणनीति का हिस्सा माना गया.

जदयू के विधान पार्षद खालिद अनवर ने नीतीश कुमार का बचाव करते हुए कहा कि वे हमेशा से मुसलमानों के लिए काम करते रहे हैं. उन्होंने मनेर शरीफ और फुलवारी शरीफ की खानकाहों के जीर्णोद्धार के लिए करोड़ों रुपये देने का हवाला दिया.

जदयू के इन दावों के बावजूद, विपक्ष लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर है. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जब नीतीश कुमार टोपी नहीं पहनते, तो उनकी आलोचना होती है, और फिर जब वे टोपी पहनते हैं, तो यह केवल सियासी फायदे के लिए होता है. तिवारी ने तंज कसते हुए कहा, अब कितना अल्पसंख्यक भाइयों को टोपी पहनाएंगे. विपक्ष का आरोप है कि यह सरकार जाने वाली है और इसलिए नीतीश कुमार अब अपनी छवि चमकाने की कोशिश कर रहे हैं.

हालांकि, इन आरोपों के बीच भी नीतीश कुमार अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को बनाए रखने की कोशिश करते दिख रहे हैं. फिर भी, वक्फ बिल पर पार्टी के रुख से मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा वर्ग उनसे नाराज भी हुआ था. यह नाराजगी इस बात का संकेत देती है कि नीतीश कुमार के लिए मुस्लिम वोट बैंक को पूरी तरह से वापस अपने पाले में लाना एक चुनौती हो सकती है.

कुछ अन्य वेब स्टोरीज

Story 1

क्रिकेट मैदान में बम धमाका, 1 की मौत, कई घायल; वीडियो वायरल

Story 1

GST 2.0: आपकी जेब पर कितना पड़ेगा असर? वेबसाइट पर जानिए बचत का गणित!

Story 1

परदे के विलेन, रियल लाइफ हीरो: सोनू सूद फिर बने मसीहा, बाढ़ पीड़ितों की मदद को पहुंचे पंजाब

Story 1

कोल्डप्ले कॉन्सर्ट का किस कैम बना तलाक का कारण, बॉस संग दिखी HR हेड!

Story 1

तेंदुए को जंगली सूअर ने सिखाया सबक, शिकारी हुआ भीगी बिल्ली!

Story 1

बिग बॉस 19: घर में वाइल्ड कार्ड एंट्री से बदलेगा खेल, किसका होगा पत्ता साफ?

Story 1

अजित पवार से बहस करने वाली IPS पर सवाल उठाने वाले अमोल मिटकरी ने मांगी माफी

Story 1

बाढ़ से हाहाकार के बाद श्रेयस अय्यर का भावुक अपील, पंजाब के कप्तान का टूटा दिल

Story 1

गयाजी में पितृपक्ष मेला शुरू, पिंडदान से पितरों को मोक्ष दिलाने उमड़े श्रद्धालु

Story 1

संजू सैमसन का एशिया कप में खेलना मुश्किल, जितेश शर्मा को मिल सकती है पहली पसंद!