अजित पवार से बहस करने वाली IPS पर सवाल उठाने वाले अमोल मिटकरी ने मांगी माफी
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अमोल मिटकरी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के एमएलसी, ने आईपीएस अधिकारी अंजना कृष्णा से जुड़े विवाद पर अब माफी मांग ली है। उन्होंने अंजना कृष्णा के शैक्षणिक और जाति प्रमाणपत्रों पर उठाए गए सवालों को वापस ले लिया है। मिटकरी ने कहा कि उनका इरादा किसी की छवि को नुकसान पहुंचाना नहीं था और अगर उनके बयान से किसी को ठेस पहुंची है, तो वे माफी मांगते हैं।

पहले उन्होंने यूपीएससी को पत्र लिखकर अंजना कृष्णा के दस्तावेजों की जांच की मांग की थी।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब अंजना कृष्णा ने सोलापुर जिले में अवैध मिट्टी खनन के खिलाफ कार्रवाई की। इस कार्रवाई से नाराज एनसीपी कार्यकर्ता बाबा जगताप ने अजित पवार को फोन किया और उनसे अधिकारी से बात करने को कहा। इस बातचीत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें अजित पवार कथित तौर पर अंजना कृष्णा को फटकार लगाते और कार्रवाई रोकने का आदेश देते सुनाई दिए। वीडियो में पवार को यह कहते हुए भी सुना गया, मैं आपको आदेश देता हूं कि वो रुकवाओ और मैं तेरे पर एक्शन लूंगा।

इस वीडियो के वायरल होने के बाद अजित पवार पर प्रशासनिक मामलों में अनुचित हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए विपक्ष का दबाव बढ़ गया। आलोचनाओं का सामना करने के बाद, पवार ने सफाई दी कि उनका उद्देश्य अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देना नहीं था, बल्कि उस समय की तनावपूर्ण स्थिति को कम करना था। उन्होंने यह भी कहा कि वे नियम-कानून के खिलाफ कोई आदेश देने का इरादा नहीं रखते थे।

अमोल मिटकरी की माफी के बाद अब इस विवाद पर विराम लगता दिख रहा है। अंजना कृष्णा की सख्त कार्यशैली को जनता का समर्थन मिला है, जबकि नेताओं की भूमिका पर सवाल उठे हैं। फिलहाल, अंजना कृष्णा अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं और जिला प्रशासन अवैध खनन के मामलों पर कार्रवाई जारी रखे हुए है।

अमोल मिटकरी, जिनका पूरा नाम अमोल रामकृष्ण मिटकरी है, महाराष्ट्र विधान परिषद (एमएलसी) के एक प्रमुख सदस्य हैं। वे मई 2020 से इस पद पर कार्यरत हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) का प्रतिनिधित्व करते हुए, उन्हें विधायकों द्वारा निर्विरोध चुना गया था। मिटकरी अपने भाषणों और महाराष्ट्र में किए गए सामाजिक कार्यों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जाने जाते हैं। उनका जन्म 1982 में अकोला जिले के कुटासा में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में की थी और वे संभाजी ब्रिगेड के राज्य प्रवक्ता भी रह चुके हैं। एनसीपी के राज्य महासचिव और पार्टी प्रवक्ता के तौर पर, मिटकरी ग्रामीण विकास, शिक्षा और किसानों के अधिकारों की वकालत के लिए व्यापक रूप से सम्मानित हैं। एक युवा नेता के रूप में उनकी एक बेदाग सार्वजनिक छवि है और महाराष्ट्र में समावेशी विकास और सामाजिक न्याय के लिए अमोल मिटकरी एक सशक्त आवाज़ बने हुए हैं।

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