ढाई साल की ट्रेनिंग ढाई महीने में! रक्षा मंत्री ने की ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की जमकर तारीफ
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गगनयात्रियों के सम्मान समारोह में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनके सहयोगियों ग्रुप कैप्टन पी वी नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप का सम्मान किया।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल अनिल चौहान और वायु सेना प्रमुख, एयर मार्शल एपी सिंह भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत धरती की सतह से ऊपर की दुनिया में लगातार आगे बढ़ रहा है। भारत की स्पेस यात्रा अब केवल अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने तक सीमित नहीं है।

आज भारत चंद्रमा से लेकर मंगल ग्रह तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। गगनयान जैसे मिशन के लिए भी भारत पूरी तरह तैयार है। यह आत्मनिर्भर भारत का एक नया अध्याय है, जहां हम विश्व की सबसे बड़ी स्पेस पावर के रूप में गर्व के साथ खड़े हो रहे हैं।

भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम हमारी राष्ट्रीय आकांक्षाओं और वैश्विक दृष्टि का प्रतीक है। चंद्रयान से लेकर मंगलयान तक हमने सिद्ध किया है कि सीमित संसाधनों के बावजूद असीमित इच्छाशक्ति से कोई भी लक्ष्य छोटा पड़ जाता है।

भारत का विजन स्पष्ट है। भारत स्पेस को केवल शोध के क्षेत्र के रूप में नहीं देखता है, बल्कि इसे आने वाले कल की इकोनॉमी, सुरक्षा, ऊर्जा और मानवता के भविष्य के रूप में देखता है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि स्पेस से प्राप्त तकनीकें, जैसे संचार उपग्रह, मौसम की निगरानी, और प्राकृतिक आपदाओं से निपटना, आज भारत के गांव तक सेवा पहुंचा रही हैं। भविष्य में अंतरिक्ष खनन, गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण, और ग्रहीय संसाधन मानव सभ्यता की दिशा बदल देंगे।

उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन की भी सराहना की।

रक्षा मंत्री ने कहा कि लंबी अवधि के मिशनों में अंतरिक्ष यात्रियों के लचीलेपन और भलाई को बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया जाता है। इसलिए एक अंतरिक्ष यात्री के लिए शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से तैयारी करना बहुत जरूरी है। इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन ने अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने में बड़ी भूमिका निभाई है।

शुभांशु शुक्ला जैसे व्यक्तित्व हम सबके लिए गर्व का विषय हैं। उन्हें बताया गया कि सामान्यतः अंतरिक्ष यात्रियों की प्रक्रिया 2 से ढाई वर्षों तक चलती है, लेकिन शुक्ला ने इसे मात्र ढाई महीनों में पूरा कर दिखाया। यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत क्षमता का प्रमाण है, बल्कि भारतवासियों के परिश्रमी मन का भी प्रतीक है।

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