भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका और पाकिस्तान की बढ़ती नज़दीकियों और भारत-अमेरिका संबंधों में उतार-चढ़ाव पर टिप्पणी की है. उन्होंने भारत पर अमेरिकी टैरिफ़ और रूस से भारत के तेल खरीदने के मुद्दे पर भी बात की.
दिल्ली में एक मीडिया कार्यक्रम में, जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ अमेरिका के रिश्तों के लंबे इतिहास और उसे अनदेखा करने के इतिहास को उजागर किया. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को भी खारिज किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष उनकी मध्यस्थता से रुका था.
जयशंकर ने भारत और अमेरिका के रिश्तों से जुड़े मुद्दों के साथ-साथ वैश्विक चुनौतियों पर भी अपनी राय रखी और रूस से तेल खरीदने के फैसले का बचाव किया.
भारत और अमेरिका के रिश्तों पर बात करते हुए, विदेश मंत्री ने व्यापार, तेल और मध्यस्थता जैसे तीन मुद्दों को उठाया. व्यापार के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कुछ बातें भारत के लिए लाल रेखा के समान हैं, खासकर किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा से जुड़े मुद्दे.
रूस से तेल खरीदने के मामले में, जयशंकर ने कहा कि भारत को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है, जबकि चीन रूस से अधिक तेल खरीदता है लेकिन उस पर अधिक टैरिफ़ नहीं लगाया गया है. उन्होंने यूरोप द्वारा रूस से एलएनजी की अधिक खरीद पर भी सवाल उठाया.
उन्होंने कहा कि रूस से तेल खरीदना भारत के राष्ट्रीय हित में है और दुनिया के हित में भी, और भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता का हक है.
संघर्ष विराम को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत हुई थी, जबकि ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने संघर्ष रुकवाया था. जयशंकर ने कश्मीर के मुद्दे पर किसी तीसरे मुल्क की मध्यस्थता को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.
पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बंद कमरे में हुई मुलाक़ात पर, जयशंकर ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की चीज़ें हो रही हैं और देशों द्वारा सुविधा की राजनीति अपनाने के कारण ऐसा होता है. उन्होंने 2011 में एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन के खिलाफ अमेरिकी सैन्य अभियान का भी जिक्र किया.
जयशंकर ने डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दुनिया ने कभी ऐसा अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं देखा जिसने अपनी विदेश नीति को इतने सार्वजनिक रूप से संचालित किया हो. उन्होंने कहा कि ट्रंप का दुनिया से निपटने का तरीका पारंपरिक तरीकों से अलग था.
रूस दौरे पर जयशंकर ने कहा कि भारत जंग को खत्म होते देखना चाहता है और जंग रोकने की हर कोशिश का स्वागत करता है. उन्होंने कहा कि यह दो पक्षों के बीच का मामला है और यह उतना सीधा नहीं है जितना दिखता है.
चीन के साथ संबंधों पर, जयशंकर ने कहा कि सीमा विवाद 1950 के दशक से है और सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना बेहद ज़रूरी है. उन्होंने व्यापार घाटे और सप्लाई चेन में बाधाओं जैसी समस्याओं का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि बातचीत की प्रक्रिया जारी है और यह एक लंबी प्रक्रिया है.
Honored to call on President Putin at the Kremlin today. Conveyed the warm greetings of President Droupadi Murmu & Prime Minister @narendramodi.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) August 21, 2025
Apprised him of my discussions with First DPM Denis Manturov & FM Sergey Lavrov. The preparations for the Annual Leaders Summit are… pic.twitter.com/jJuqynYrlX
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