LAC और LoC पर अब पलक झपकते ही पहुंचेगी रसद, भारतीय वायुसेना में शामिल होंगे 50 नए C-295 विमान!
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28 अक्टूबर, 2024 को स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सैंचेज भारत आए और टाटा-एयरबस के नए प्लांट का उद्घाटन किया. यह प्लांट टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) और एयरबस डिफेंस एंड स्पेस का संयुक्त प्रोजेक्ट है.

यहाँ अब C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनाए जाएंगे. यह विमान सामान्य ट्रांसपोर्ट विमानों से अलग है - यह एक उड़ान में 9,250 किलो वजन उठा सकता है, यानी चार बड़े हाथियों के बराबर!

इसका मतलब है कि भारतीय वायुसेना अब LAC और LOC पर जवानों, हथियारों और रसद को बहुत तेजी से भेज सकेगी.

इस विमान की खासियत सिर्फ भारी वजन उठाना नहीं है. इसमें पैराट्रूपर्स को दुश्मन इलाके में ड्रॉप करने की भी क्षमता है. वही पैराट्रूपर्स जिन्होंने 2016 में PoK में सर्जिकल स्ट्राइक की थी. यानी ये विमान सेना की कई जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है.

भारत में यह प्राइवेट सेक्टर का पहला मेक इन इंडिया एयरोस्पेस प्रोग्राम है. भारतीय वायुसेना अपने पुराने AVRO-748 बेड़े को अब 56 नए C-295 एयरक्राफ्ट से बदलने जा रही है.

एयरबस स्पेन के सेविले प्लांट से पहले 16 विमान Ready to Fly हालत में भारत आएंगे, जबकि बाकी 40 विमान वडोदरा के TASL प्लांट में तैयार होंगे. पहला C-295 विमान भारत को सितंबर 2023 में मिला था.

ट्रांसपोर्ट विमानों की उपयोगिता सेना के ऑपरेशंस में बहुत अहम होती है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान फॉरवर्ड पोजीशंस पर सैनिकों की तैनाती में सबसे महत्वपूर्ण था उन्हें नजदीकी एयरबेस तक जल्द से जल्द पहुंचाना.

रेस्क्यू मिशन में भी इन विमानों को तैनात किया जाता है. इनकी भार उठाने की क्षमता अधिक होती है, इसलिए इन्हें बचाए हुए लोगों को ले जाने, राहत सामग्री पहुंचाने और सैनिकों/राहतकर्मियों की तैनाती में इस्तेमाल किया जाता है.

भारत के बेड़े में फिलहाल AVRO-748, एंटोनोव AN-32, इल्यूशन-76, C-130J, C-17 Globemaster जैसे ट्रांसपोर्ट विमान शामिल हैं. हालांकि इनमें AVRO, इल्यूशन-76 और एंटोनोव काफी पुराने हो चुके हैं.

इंडियन एयरफोर्स, आर्मी और नेवी; तीनों को ट्रांसपोर्ट विमानों की जरूरत है. भारतीय तटरक्षक (Indian Coast Guard) भी ट्रांसपोर्ट विमानों का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में ट्रांसपोर्ट विमान फौज की रीढ़ की तरह हैं.

C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट क्यों खास है? इसका जवाब है इस विमान की खासियत. इसका मध्यम आकार और पावरफुल इंजन इसे लद्दाख और कश्मीर जैसे इलाकों में ऑपरेट करने के लिए उपयुक्त बनाता है.

इन इलाकों में ऑक्सीजन की कमी के कारण कई बार इंजन पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाता. लेकिन C-295 में ऐसी समस्या देखने को नहीं मिली.

इसके कुछ फीचर्स:

इस विमान को लेने की एक और वजह है कि इसे टेक-ऑफ लैंडिंग के लिए काफी छोटा रनवे या एयरस्ट्रिप चाहिए होता है. टेक ऑफ के लिए इसे 670 से 934 मीटर और लैंडिंग के लिए इसे 320 से 420 मीटर की जगह चाहिए.

इसे न सिर्फ एयरपोर्ट बल्कि रफ एयरस्ट्रिप पर भी आसानी से उतारा जा सकता है. लद्दाख स्थित दौलत बेग ओल्डी जैसे स्थान पर भी C-295 आसानी से टेक-ऑफ और लैंड कर जाता है.

अब देखना ये है कि 56 विमानों के बाद बाकी के 50 विमानों का ऑर्डर कब दिया जाता है. इस विमान के एक वेरिएंट का इस्तेमाल रडार लगाकर AWACS की तरह भी किया जा सकता है.

टाटा ने नवंबर 2023 से ही 40 सी295 विमानों के लिए मेटल कटिंग का काम शुरू कर दिया था. हैदराबाद में कई पार्ट्स बनाए जाएंगे. इसके बाद टाटा की हैदराबाद फैसिलिटी एयरक्राफ्ट के प्रमुख हिस्सों फैब्रिकेट कर वडोदरा स्थित नई असेंबली लाइन में भेजेगी. वडोदरा में सभी C-295 विमानों को अंतिम रूप दिया जाएगा.यहां इनमें इंजन, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि फिट किए जाएंगे. इसके बाद इन्हें वायुसेना को सौंप दिया जाएगा.

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