वाराणसी की कचहरी में अधिवक्ता जांच समिति ने गुरुवार को फर्जी अधिवक्ताओं के रजिस्ट्रेशन और सीओपी की जांच की। इस दौरान वकीलों के वेष में कुछ संदिग्ध व्यक्तियों को पकड़ा गया।
जांच में दो व्यक्ति काला कोट, सफेद शर्ट और काला पैंट पहने हुए पाए गए। एक संदिग्ध ने एफआईआर रुकवाने के लिए कहीं फोन मिला दिया, जिसका वीडियो वायरल हो गया।
दोनों को पकड़कर बनारस बार के अध्यक्षीय कक्ष में लाया गया। पूछताछ में पता चला कि वे दोनों फर्जी अधिवक्ता थे। उनके पास बार कौंसिल का पंजीकरण सर्टिफिकेट और सीओपी नहीं था।
बनारस बार के महामंत्री शशांक श्रीवास्तव ने कचहरी चौकी प्रभारी को बुलाकर दोनों संदिग्धों को पुलिस के हवाले कर दिया। देर शाम, शशांक श्रीवास्तव ने विवेक कुमार गुप्ता और एस पटेल के खिलाफ कचहरी चौकी प्रभारी को तहरीर दी। पुलिस द्वारा विधिक कार्रवाई जारी है।
जांच दल का नेतृत्व शशांक श्रीवास्तव कर रहे थे, जिनके साथ ओम शंकर श्रीवास्तव, दीवाकर दूबे, अमित उपाध्याय, यामिनी शर्मा, रंजीत मिश्रा, कमलेश यादव, विशाल मौर्या, गौतम कुमार झा जैसे अधिवक्ता शामिल थे।
यह कार्रवाई बनारस बार के प्रयासों का हिस्सा है, जो न्यायालय में फर्जी अधिवक्ताओं की पहचान और उन्हें रोकने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
फर्जी अधिवक्ताओं की पहचान करना और उन्हें न्यायालय से बाहर रखना अत्यंत आवश्यक है, ताकि न्यायालय की गरिमा और वकीलों की पेशेवर छवि को बनाए रखा जा सके।
बनारस बार के महामंत्री ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने सभी अधिवक्ताओं से अपील की कि वे इस मामले में सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत दें।
यह कदम न केवल न्यायालय की सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि यह समाज में कानून के प्रति विश्वास को भी बढ़ाता है।
बनारस बार फर्जी अधिवक्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है। न्यायालय में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बनारस बार ने सभी अधिवक्ताओं को सतर्क रहने और अपने पेशेवर दायित्वों का पालन करने की सलाह दी है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि न्यायालय में केवल वे ही अधिवक्ता उपस्थित हों, जो कानून के प्रति समर्पित और योग्य हैं।
वाराणसी में फर्जी अधिवक्ताओं के खिलाफ की गई यह कार्रवाई एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न्यायालय की गरिमा को बनाए रखने में सहायक सिद्ध होगी।
*#varanasi में फर्जी अधिवक्ताओं पर अधिवक्ता जांच समिति कार्रवाई कर रही है। इसी कड़ी में गुरुवार को दो संदिग्ध लोग पकड़ में आये तो एक ने एफआईआर रुकवाने के लिए कहीं फोन मिला दिया। देखते ही देखते यह वीडियो वायरल हो गया। pic.twitter.com/tbHfU3Cb5x
— Abhishek sharma (@officeofabhi) August 22, 2025
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