गृह मंत्री शाह और केसी वेणुगोपाल के बीच तीखी बहस, जानिए संसद में हंगामा बरपाने वाले तीन बिल
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संसद के मानसून सत्र में बुधवार को लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन बिल पेश किए, जिनका विपक्ष ने पुरजोर विरोध किया और वापस लेने की मांग की.

विपक्ष के भारी विरोध को देखते हुए अमित शाह ने इन बिलों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने का प्रस्ताव रखा. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इन बिलों के राजनीतिक दुरुपयोग की आशंका जताई और कहा कि वह इनका पुरजोर विरोध करते हैं.

कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने अमित शाह के गुजरात में मंत्री रहते गिरफ्तारी का मुद्दा उठाया, जिसके जवाब में अमित शाह ने कहा कि उन्होंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था और बाद में निर्दोष साबित हुए. उन्होंने कहा कि उन पर झूठे आरोप लगाए गए थे, जिसके कारण उन्होंने पद से इस्तीफा दिया और कोई जिम्मेदारी वाला पद नहीं लिया.

सदन में मौजूद सांसदों के अनुसार, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी हर वक्ता के माइक पर जाकर चिल्ला रहे थे. जब उन्होंने अमित शाह के माइक पर ऐसा करने की कोशिश की, तो बिट्टू और रिजिजू ने उन्हें रोका, जिसके बाद बिट्टू और कल्याण के बीच तीखी बहस हुई.

विपक्ष जिन तीन बिलों का भारी विरोध कर रहा है, वे इस प्रकार हैं:

1. गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025: केंद्र सरकार के अनुसार, वर्तमान में केंद्र शासित प्रदेशों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए, ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट 1963 की धारा 45 में संशोधन की आवश्यकता है.

2. 130वां संविधान संशोधन बिल 2025: सरकार का कहना है कि संविधान में किसी ऐसे मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है, जिसे गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार किया गया हो और हिरासत में लिया गया हो. इसलिए, ऐसे मामलों में प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री और राज्यों या नेशनल कैपिटल टेरिटरी दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239 AA में संशोधन की आवश्यकता है.

3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025: जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है. जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 54 में संशोधन के बाद गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को 30 दिन में हटाने का प्रावधान होगा.

एक अन्य बिल, ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025, भी लोकसभा में पेश किया गया है, जिसका उद्देश्य 32000 करोड़ के ऑनलाइन गेमिंग उद्योग पर रोक लगाना है.

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