वाराणसी रेल कारखाने द्वारा रेल पटरियों के बीच सोलर पैनल लगाकर बिजली उत्पादन की सफल योजना के बाद, रेलवे अब आगे की योजना बनाने में जुट गया है।
रेलवे का लक्ष्य अब प्रति किलोमीटर प्रति वर्ष 3.21 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन करना है। यह पहल रेलवे को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना को पूरे देश में लागू करने की तैयारी है।
हालांकि, इस पहल के बाद लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। पैनल की चोरी होने, मलबा गिरने और क्षति होने की आशंका जताई जा रही है। रेलवे का कहना है कि फिलहाल यह प्रयास रेलवे की संपत्ति वाले क्षेत्रों में ही सोलर पैनल लगाने का है, ताकि पैनल सुरक्षित रहें।
भारतीय रेलवे तेजी से सौर ऊर्जा को अपने हित में शामिल कर रहा है। अधिक टिकाऊ और हरित ऊर्जा के लिए, रेलवे अब योजनाओं को धरातल पर उतारने जा रहा है। परिवहन व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इसके तहत, अब देश भर में बरेका के प्रयोगों को शामिल करने की योजना पर काम शुरू किया जाना है।
बीएलडब्ल्यू ने भारत का पहला रिमूवेबल सोलर पैनल चालू किया है। सक्रिय रेलवे ट्रैक के बीच स्थापित यह सिस्टम, बीएलडब्ल्यू वर्कशॉप लाइन नंबर 19 में शुरू किया गया एक पायलट प्रोजेक्ट है। सोलर पैनल बिछाने के लिए स्वदेशी रूप से डिजाइन की गई स्थापना प्रक्रिया के तहत रेल यातायात को बाधित किए बिना रेल पटरियों के बीच ये पैनल लगाए गए हैं। ये पैनल न केवल टिकाऊ और कुशल हैं, बल्कि हटाने योग्य भी हैं। इनका रखरखाव आसान है और ये मौसम के अनुकूल भी हैं।
यह योजना बनाने से पहले कई चुनौतियों पर भी विचार किया गया। रेलवे ने ट्रेन के गुजरने से कंपन पैदा होने से सोलर पैनलों को नुकसान पहुंचाने से संभावित रूप से उनकी कार्यक्षमता कम होने पर रेलवे ट्रैक को कंपन से बचने के लिए रबर माउंटिंग पैड का उपयोग किया गया है। इसके अलावा, सौर पैनल के लिए एपाक्सी चिपकने वाला उपयोग करके स्थापित किया गया है। धूल और मलबे की वजह से पैनल को बार-बार सफाई की आवश्यकता होनी है। रखरखाव के लिए आसान तरीके से पैनल निकालने की सुविधा भी दी गई है।
भारतीय रेलवे के ट्रैक की लंबाई 1.2 लाख किलोमीटर है। यार्ड लाइनों के बीच सोलर पैनलों की स्थापना के लिए उपयोग करने की योजना है। इस योजना में स्थान के रूप में भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। पटरियों के बीच सौलर पैनलों के लिए उपयोग किया जाना है। इस योजना में 3.21 लाख यूनिट प्रति वर्ष प्रति किलोमीटर उत्पन्न करने की क्षमता है।
*@blwvaranasi ने ट्रैक पर जो सोलर पैनल बिछाए हैं उसकी मंशा यह भी है कि रेलवे बिजली को लेकर आत्मनिर्भर भी बने। योजना देश भर में इसे इम्प्लीमेंट करने की भी है। #varanasi @RailMinIndia @WesternRly @Central_Railway @AshwiniVaishnaw @PMOIndia @narendramodi @narendramodi_in pic.twitter.com/F9O3Ogw07T
— Abhishek sharma (@officeofabhi) August 20, 2025
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