देश की सबसे बड़ी संवैधानिक संस्था, चुनाव आयोग (ईसी), और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के बीच वोट चोरी के आरोपों को लेकर महासंग्राम छिड़ गया है। चुनाव आयोग ने आरोपों का जवाब देने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसके बाद कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए चुनाव आयोग पर एक बार फिर झूठ बोलने का आरोप लगाया।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चुनाव आयोग सभी राजनीतिक दलों के साथ समान व्यवहार करता है। उन्होंने वोट चोरी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ऐसे आरोप भारत के संविधान का अपमान हैं।
चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म होते ही कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर एक वीडियो कोलाज पोस्ट किया। वीडियो में पहले ज्ञानेश कुमार का बयान दिखाया गया, जिसमें वे कहते हैं कि हमारे लिए न तो कोई पक्ष है, न विपक्ष, सब समकक्ष हैं। इसके बाद राहुल गांधी का वीडियो दिखाया गया, जिसमें वे कहते हैं, कुछ दिन पहले बीजेपी के लोग प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं, उनसे कोई एफिडेविट नहीं मांगा गया। उनका ही डेटा है, उनके ही आंकड़े हैं, मुझसे एफिडेविट मांगा जा रहा है। इस वीडियो के साथ कांग्रेस ने लिखा, चुनाव आयोग ने फिर झूठ बोला।
मुख्य चुनाव आयुक्त के बयान वोट चोरी जैसे शब्द संविधान का अपमान हैं पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, आप कौन होते हैं ये बोलने वाले? चोरी करना बंद कर दीजिए, हम वोट चोरी जैसे शब्दों का प्रयोग करना बंद कर देंगे।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस पर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की सूची प्रकाशित करने से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई तर्क दिए, लेकिन कोर्ट ने उन सभी को खारिज कर दिया।
जयराम रमेश ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के विरोध के बावजूद इन 65 लाख मतदाताओं की जानकारी को खोजने योग्य प्रारूप में प्रकाशित करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने आधार आईडी को मतदाता पहचान के लिए इस्तेमाल करने की भी अनुमति दी। रमेश ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने इन सभी निर्देशों का विरोध किया था। उन्होंने सवाल किया कि क्या चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों का पूरी तरह से पालन करेगा?
जयराम रमेश ने दावा किया कि राहुल गांधी ने जो कुछ भी कहा, वह चुनाव आयोग के ही डेटा पर आधारित था। उन्होंने कहा, चुनाव आयोग न केवल अपनी अक्षमता के लिए, बल्कि अपनी स्पष्ट पक्षपातपूर्ण रवैये के लिए भी पूरी तरह बेनकाब हो चुका है।
चुनाव आयोग की सफाई के बाद भी यह विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है, बल्कि और भी गहराता जा रहा है। अब देखना यह होगा कि क्या यह विवाद कानूनी लड़ाई का रूप लेता है या राजनीतिक मंच पर ही इसका समाधान होता है। फिलहाल, दोनों पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।
चुनाव आयोग ने फिर झूठ बोला pic.twitter.com/TMaFd4vN8b
— Congress (@INCIndia) August 17, 2025
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