चुनाव आयोग का करारा जवाब: हमारे लिए ना कोई पक्ष, ना विपक्ष - सब समकक्ष
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चुनाव आयोग ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोपों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कड़े शब्दों में जवाब दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग किसी भी राजनीतिक दल के साथ भेदभाव नहीं करता।

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि भारत के संविधान के अनुसार, 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले प्रत्येक नागरिक को मतदाता बनना चाहिए और मतदान करना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि जब प्रत्येक राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में पंजीकरण के माध्यम से होता है, तो आयोग समान राजनीतिक दलों के बीच भेदभाव कैसे कर सकता है? चुनाव आयोग के लिए न तो कोई विपक्ष है और न ही कोई पक्ष, सभी समान हैं।

आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने जोर देकर कहा कि चुनाव आयोग अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटेगा, चाहे किसी भी राजनैतिक दल का मामला हो।

पिछले दो दशकों से मतदाता सूची में गलतियों में सुधार की मांग को पूरा करने के लिए बिहार से सिस्टमैटिक वोटर एजुकेशन एंड इलेक्टोरल पार्टिसिपेशन (एसआईआर) की शुरुआत की गई। ज्ञानेश कुमार ने बताया कि इस प्रक्रिया में सभी मतदाता, बूथ लेवल अफसर और राजनीतिक दलों द्वारा नामित बीएलए ने मिलकर प्रारूप सूची तैयार की। यह सूची सभी दलों के साइन से सत्यापित की गई। गलतियों को हटाने के लिए एक बार फिर समय दिया गया, जिसमें सभी मतदाता और दल योगदान दे रहे हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने चिंता जताते हुए कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों और उनके द्वारा नामित बीएलए के सत्यापित दस्तावेज उनके अपने राज्य या राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक नहीं पहुंच रहे हैं, या फिर जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करके भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने सभी हितधारकों से मिलकर बिहार के एसआईआर को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध रहने का आह्वान किया।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने उन आरोपों पर भी पलटवार किया, जिनमें मतदाताओं की तस्वीरों को बिना अनुमति मीडिया के सामने पेश किया गया था। उन्होंने पूछा कि क्या चुनाव आयोग को किसी भी मतदाता, चाहे वह उनकी मां हो, बहू हो या बेटी हो, उनके सीसीटीवी वीडियो साझा करने चाहिए? उन्होंने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में जिनके नाम हैं, वे ही अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट डालते हैं।

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि अगर समय रहते मतदाता सूचियों में त्रुटियां साझा न की जाएं, या मतदाता की ओर से अपने उम्मीदवार को चुनने के 45 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर नहीं की जाए, और फिर वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल करके जनता को गुमराह करने का प्रयास किया जाए, तो यह भारत के संविधान का अपमान है।

उन्होंने दोहराया कि चुनाव प्रक्रिया में एक करोड़ से अधिक कर्मचारी, दस लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट और उम्मीदवारों के बीस लाख से अधिक पोलिंग एजेंट काम करते हैं। इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में इस तरह के आरोप निराधार हैं। उन्होंने डबल वोटिंग के आरोपों को भी खारिज करते हुए कहा कि जब सबूत मांगे गए तो कोई जवाब नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग और कोई भी मतदाता ऐसे झूठे आरोपों से नहीं डरता। उन्होंने कहा कि मतदाताओं को निशाना बनाकर রাজনীতি करना अनुचित है।

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