प्रयागराज से पटना तक बाढ़ का कहर: गंगा-यमुना खतरे के निशान से ऊपर, तबाही का मंजर
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उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक गंगा नदी के किनारे बसे इलाकों में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई हुई है। प्रयागराज में उफान भर रही गंगा और यमुना का पानी अब आगे बढ़ते हुए पटना तक कहर बरपा रहा है।

केन्द्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, वाराणसी में 1978 की भयावह बाढ़ का रिकॉर्ड भी टूट सकता है।

प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों नदियां खतरे के निशान से बहुत ऊपर बह रही हैं। भदोही, मिर्जापुर, वाराणसी, बलिया और पटना में भी गंगा नदी खतरे के निशान को पार कर गई है।

मध्य प्रदेश और राजस्थान की बारिश का पानी चंबल और बेतवा नदियों से होकर यमुना में पहुंचा, जिससे प्रयागराज में बाढ़ आ गई। यही सारा पानी गंगा नदी में मिलकर पूरब की ओर बढ़ रहा है।

प्रयागराज में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। शहर के कई इलाकों में पानी भर गया है। इस बाढ़ ने लगभग तीन लाख लोगों को प्रभावित किया है और करीब 40 हजार लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।

शनिवार सुबह तक गंगा और यमुना, दोनों का जलस्तर खतरे के निशान 84.73 मीटर से ऊपर चला गया था। गंगा का जलस्तर 84.96 मीटर और यमुना का 85.06 मीटर तक पहुंच गया।

यह स्थिति इसलिए बनी है क्योंकि मध्य प्रदेश और राजस्थान में भारी बारिश हो रही है। इस बारिश का पानी चंबल, बेतवा और केन जैसी नदियों से होता हुआ यमुना में आ रहा है, जिससे यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। गंगा का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है।

प्रयागराज से आगे बढ़ने पर गंगा नदी का पानी मिर्ज़ापुर, वाराणसी, गाजीपुर और बलिया जैसे जिलों में फैलता जा रहा है। वाराणसी में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के बहुत करीब पहुंच गया है, जिससे घाटों और निचले इलाकों में पानी भर गया है।

बलिया जिले में स्थिति और भी गंभीर है, यहां गंगा नदी खतरे के निशान से लगभग एक मीटर ऊपर बह रही है, जिससे किनारे के गांवों में पानी घुस गया है और फसलें डूब गई हैं।

उत्तर प्रदेश से यह सारा पानी जब बिहार में प्रवेश करता है, तो पहले से उफान पर बह रही घाघरा (सरयू), सोन और गंडक जैसी नदियां भी गंगा में मिल जाती हैं। इससे गंगा का आकार और भी विशाल हो जाता है।

इसी वजह से राजधानी पटना में भी गंगा नदी खतरे के निशान के पास पहुंच गई है और बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।

इस पूरी बाढ़ की वजह से प्रयागराज से लेकर पटना तक लाखों लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। हजारों लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित जगहों या सरकारी राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। किसानों की हजारों हेक्टेयर फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो गई है। गांव-गांव में पानी भर जाने से रास्ते बंद हो गए हैं और लोगों तक मदद पहुंचाने में भी मुश्किल आ रही है।

प्रशासन ने पूरे जिले में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने के लिए नावें और मोटर बोट लगाई गई हैं। बाढ़ में फंसे लोगों के लिए राहत शिविर भी बनाए गए हैं, जहां उनके रहने और खाने का इंतजाम किया गया है। नदियों के किनारे बनी चौकियों पर अधिकारियों को तैनात किया गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।

इस बाढ़ का मुख्य कारण सिर्फ प्रयागराज की बारिश नहीं है, बल्कि बुंदेलखंड और मध्य प्रदेश में हो रही भारी बारिश है। वहां की कई नदियों का पानी यमुना में मिलता है, जिससे यमुना का जलस्तर अचानक बढ़ गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले कुछ दिनों में नदियों का जलस्तर और बढ़ सकता है, इसलिए लोगों से सावधान रहने और सुरक्षित स्थानों पर चले जाने की अपील की जा रही है।

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