राजद नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने दावा किया कि वैध ईपीआईसी (EPIC) नंबर होने के बावजूद उनका नाम बिहार की मतदाता सूची से गायब है.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी ने बड़े पर्दे पर कोई रिकॉर्ड नहीं मिला संदेश दिखाया. उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं के नाम हटाने की साजिश रची जा रही है.
तेजस्वी ने निर्वाचन आयोग से 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए. उन्होंने पूछा कि इन मतदाताओं को मृत, स्थानांतरित या अनुपस्थित घोषित करने का आधार क्या है.
उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या मृत मतदाताओं के परिवारों से संपर्क किया गया और अस्थायी रूप से स्थानांतरित लोगों की भौतिक सत्यापन प्रक्रिया हुई.
तेजस्वी ने कहा कि अगर 36 लाख गरीब मतदाताओं के नाम अस्थायी प्रवास के कारण हटाए गए, तो यह आंकड़ा भारत सरकार द्वारा बताए गए 3 करोड़ पंजीकृत प्रवासी श्रमिकों से अधिक है.
तेजस्वी ने निर्वाचन आयोग से चार मांगें रखीं. पहली, हटाए गए मतदाताओं की बूथ-वार सूची और कारणों को सार्वजनिक किया जाए.
दूसरी, मृत, स्थानांतरित, दोहराए गए और अज्ञात मतदाताओं की श्रेणी-वार सूची विधानसभा और बूथ स्तर पर जारी हो.
तीसरी, आपत्ति दर्ज करने की 7 दिन की समय सीमा को पारदर्शिता सुनिश्चित होने तक बढ़ाया जाए. चौथी, सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान ले.
तेजस्वी ने कहा कि लोकतंत्र में प्रत्येक मतदाता की उपस्थिति और अधिकार सुनिश्चित करना सर्वोपरि है. अगर मतदाता सूची से नाम हटाए जा रहे हैं और इसके कारण छिपाए जा रहे हैं, तो यह एक गंभीर लोकतांत्रिक संकट है.
हालांकि, निर्वाचन आयोग ने तेजस्वी के आरोपों को शरारतपूर्ण और तथ्यात्मक रूप से गलत करार दिया. आयोग ने कहा कि तेजस्वी का नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में दर्ज है.
पटना के डीएम ने भी पुष्टि की कि उनका नाम पहले पोलिंग स्टेशन 171, क्रमांक 481 पर था, जो अब बदल गया है. अधिकारियों ने बताया कि 1 अगस्त को सभी राजनीतिक दलों के साथ अपडेटेड ड्राफ्ट सूची साझा की गई थी.
भाजपा नेताओं ने तेजस्वी के दावों को भ्रामक स्टंट करार दिया. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने तेजस्वी के मतदाता डिटेल का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए कहा कि उनका नाम उनके पिता लालू प्रसाद के साथ सूची में है.
*मतदाता सूची पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन SIR 2025) की प्रक्रिया में जानबूझकर धांधली की गई है। चुनाव आयोग अब अपने ही वादों से पलट रहा है। 65 लाख मतदाताओं के वोट काटने के बाद भी नई ड्राफ्ट सूची में अस्पष्टता है। निर्वाचन आयोग द्वारा लगातार अपने निर्णय बदलने, पारदर्शिता से पीछे… pic.twitter.com/Lwx63665TF
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 2, 2025
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