मालेगांव ब्लास्ट: क्या सीएम योगी को फंसाने की थी साजिश? पूर्व जांच अधिकारी का चौंकाने वाला खुलासा
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मालेगांव ब्लास्ट मामले में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है. पूर्व एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर ने दावा किया है कि उन्हें मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था.

इस मामले में गवाह रहे मिलिंद जोशी ने भी चौंकाने वाला बयान दिया है. उन्होंने कहा कि उन पर मालेगांव ब्लास्ट में योगी आदित्यनाथ को फंसाने का दबाव बनाया गया था.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने एक और विवादास्पद बयान दिया है. उन्होंने कहा कि इसे भगवा आतंकवाद नहीं, बल्कि हिंदू आतंकवाद कहा जाना चाहिए.

इन खुलासों ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या तत्कालीन कांग्रेस सरकार संघ प्रमुख मोहन भागवत को निशाना बनाना चाहती थी? क्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी मालेगांव धमाकों में फंसाने की साजिश रची गई थी?

महबूब मुजावर के अनुसार, उन्हें भगवा आतंकवाद को स्थापित करने के लिए मामले को पेश करने के लिए कहा गया था. आदेश का पालन न करने पर उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कर उनका करियर बर्बाद कर दिया गया.

मिलिंद जोशी ने भी दावा किया कि उन पर असीमानंद का नाम लेने का दबाव था. अधिकारियों द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया गया और मनगढ़ंत कहानियां बनाने के लिए कहा गया.

इन साजिशों के केंद्र में कौन थे? मोहन भागवत, योगी आदित्यनाथ, असीमानंद और साध्वी प्रज्ञा जैसे हिंदुत्व के प्रबल चेहरे निशाने पर थे.

सितंबर 2008 में मालेगांव ब्लास्ट हुआ. उस समय, मोहन भागवत संघ के अग्रणी नेता थे और केएस सुदर्शन की जगह संघ प्रमुख बनने वाले थे. मार्च 2009 में वे संघ प्रमुख बने भी. योगी आदित्यनाथ भी 1998 से गोरखपुर से लगातार सांसद बनकर संसद में एक प्रमुख भगवा आवाज बन रहे थे.

यह स्पष्ट है कि यह हिंदुत्व की राजनीति को खत्म करने की एक साजिश थी. हिंदू आतंकवाद शब्द को झूठ के सांचे में गढ़ा गया और बार-बार दोहराया गया, ताकि इसे स्थापित किया जा सके.

योगी आदित्यनाथ ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सत्य की हमेशा जीत होती है. उन्होंने कांग्रेस पर भारत विरोधी, न्याय विरोधी और सनातन विरोधी होने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को अपने अक्षम्य कुकृत्य को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करते हुए देश से माफी मांगनी चाहिए.

हालांकि, कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण अभी भी सनातन आतंकवाद की थ्योरी लेकर आ रहे हैं.

इन घटनाओं के बाद, यह सवाल उठ रहा है कि क्या यही कारण है कि राहुल गांधी बार-बार संघ और संघ प्रमुख को निशाना बनाते हैं.

पूर्व पुलिस अधिकारी मुजावर ने कहा, कोई भगवा आतंकवाद नहीं था. सब कुछ फर्जी था.

इस धमाके में 6 निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग घायल हुए थे. अगर धमाके के बाद की साजिशें सफल हो जातीं, तो इसका समाज पर कितना बुरा असर पड़ता?

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