पानी और खून साथ नहीं बहेगा, फिर भी क्रिकेट? ओवैसी का सरकार पर सीधा हमला
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संसद के मानसून सत्र के छठे दिन, लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भारत-पाकिस्तान के बीच एशिया कप में होने वाले क्रिकेट मैच को लेकर सरकार पर निशाना साधा.

ओवैसी ने सवाल उठाया, क्या आपकी अंतरात्मा आपको बैसारन में मारे गए लोगों के परिवार वालों से भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मैच देखने के लिए कहने की इजाज़त देती है? हम पाकिस्तान का 80% पानी रोक रहे हैं, ये कहते हुए कि पानी और खून साथ-साथ नहीं बहेंगे. क्या आप क्रिकेट मैच खेलेंगे? मेरी अंतरात्मा मुझे वो मैच देखने की इजाज़त नहीं देती.

उन्होंने आगे कहा, क्या इस सरकार में इतनी हिम्मत है कि वो 25 मृतकों को बुलाकर कहे कि हमने ऑपरेशन सिंदूर में बदला ले लिया है, अब आप पाकिस्तान के साथ मैच देखिए. ये बहुत अफ़सोस की बात है... पहलगाम किसने किया? हमारे पास 7.5 लाख सेना और केंद्रीय अर्धसैनिक बल हैं. ये चार चूहे कहाँ से घुस आए और हमारे भारतीय नागरिकों को मार डाला? जवाबदेही किस पर तय होगी?

ओवैसी ने सरकार से पूछा कि क्या चीन ने पाकिस्तान को हथियार देने के बारे में उनसे बात की थी. उन्होंने यह भी पूछा कि कैसे पाकिस्तान ने भारतीय पायलट्स की बातें सुनीं.

ट्रंप के सीजफायर वाले दावे का मुद्दा उठाते हुए ओवैसी ने कहा, एक गोरा व्हाइट हाउस में बैठकर सीजफायर का ऐलान करता है, ये आपका नेशनलिज्म है. मेरा सवाल सरकार से है कि हम अमेरिका के मित्र देश हैं. क्या वे दोस्ती निभा रहे हैं. अगर आप ट्रम्प के बयान को गलत कह रहे हैं, तो अपने पायलट्स की तारीफ करिए. आप वो भी नहीं कर रहे.

ओवैसी ने कहा कि पाकिस्तान की फौज और ISI का मकसद भारत को कमजोर करना है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर देश में एकता नहीं रहेगी और बुलडोज़र के ज़रिए या जबरन मज़हब के ज़रिए किसी को निशाना बनाया जाएगा, तो पड़ोसी मुल्क के दहशतगर्द सफल हो सकते हैं. उन्होंने पाकिस्तान को FATF में वापस लाने की मांग की.

इस बीच, कांग्रेस ने अपने लोकसभा सांसदों को तीन दिनों तक सदन में मौजूद रहने का व्हिप जारी किया है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान उन अटकलों को खारिज कर दिया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने में भूमिका निभाई थी. उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी. यह टिप्पणी ट्रंप द्वारा बार-बार किए गए उन दावों के बाद आई है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने के लिए ट्रेड रोकने की धमकी दी थी.

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