कर्नाटक हाईकोर्ट के एक फैसले ने देश में आक्रोश पैदा कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि मंदिर में इस्लाम का प्रचार करना अपराध नहीं है। यह फैसला मुस्तफा, अलीसाब और सुलेमान नामक तीन मुस्लिम युवकों से संबंधित है, जिन्हें मंदिर परिसर में इस्लामिक पर्चे बांटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
इन युवकों पर श्रद्धालुओं को इस्लाम अपनाने के लिए दुबई में नौकरी और गाड़ी देने का लालच देने का भी आरोप है। अदालत ने उनकी FIR रद्द कर दी, यह कहते हुए कि इस्लाम का प्रचार करना अपराध नहीं है।
अदालत के इस फैसले से हिंदू समुदाय में आक्रोश है, क्योंकि उनका मानना है कि इन युवकों ने उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। सवाल उठता है कि क्या हिंदू मंदिर में किसी मुस्लिम का मजहबी प्रचार करना सही है?
यह पहली बार नहीं है जब धार्मिक उन्मादियों ने सनातनियों की आस्था को ठेस पहुंचाने का प्रयास किया है। मथुरा और बदायूं में भी मंदिरों में नमाज पढ़ने की घटनाएं सामने आई हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर में भी एक धार्मिक उन्मादी का नमाज पढ़ते हुए वीडियो वायरल हुआ था।
हालांकि, मुस्लिम धर्मगुरु कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के बाद मंदिर में इस्लाम के प्रचार को सही ठहरा रहे हैं।
कुरान में कहा गया है कि अपने रब के मार्ग की ओर बुद्धिमत्ता और अच्छे उपदेश के साथ बुलाओ, और उनसे ऐसे बहस करो जो सबसे बेहतर और शालीन तरीका हो। क्या मंदिर में धर्मांतरण का लालच देना और इस्लाम का पर्चा बांटना शालीन तरीका है?
संविधान हर भारतीय नागरिक को अपने धर्म के पालन और उसके प्रचार का अधिकार देता है। लेकिन यह स्वतंत्रता सार्वजनिक व्यवस्था, स्वास्थ्य और नैतिकता के अधीन है। धर्म प्रचार से अगर कानून-व्यवस्था का मुद्दा बनता है तो इस पर कार्रवाई हो सकती है।
मुस्तफा, अलीसाब और सुलेमान को भले ही कानूनी पेंचिदगियों के कारण कोर्ट से राहत मिल गई हो, लेकिन इस्लामिक लैंडमार्क्स डॉट कॉम के मुताबिक मक्का और मदीना में गैर मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है। सऊदी अरब में गैर-मुस्लिम धर्मों के लिए सार्वजनिक तौर पर पूजा करना प्रतिबंधित है। मालदीव में गैर मुस्लिम सार्वजनिक जगहों पर पूजा-पाठ नहीं कर सकते हैं।
भारतीय संविधान की सुंदरता यह है कि वह आस्था में भेद नहीं करता और सभी धर्मों का सम्मान करता है। संविधान से मिली आजादी अपने साथ जिम्मेदारी लाती है। हमें अपने धर्म के साथ ही दूसरे धर्मों का भी सम्मान करना चाहिए।
*#DNA | क्या मंदिर में इस्लाम का प्रचार..देश को कबूल? हिंदू देवता को काफिर बताने वाला बरी क्यों?
— Zee News (@ZeeNews) July 24, 2025
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