पीएम मोदी का मालदीव दौरा: स्वागत के बीच, क्यों छिड़ी है इंडिया आउट की बहस?
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 जुलाई को मालदीव के दौरे पर जा रहे हैं. यह उनका तीसरा मालदीव दौरा होगा. इस दौरे से पहले मालदीव में इंडिया आउट अभियान को लेकर बहस छिड़ी हुई है.

2023 में राष्ट्रपति चुनाव में मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने इंडिया आउट कैंपेन चलाया था, जिसने उन्हें जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई. लेकिन, भारत के आर्थिक सहयोग और कर्ज चुकाने की मियाद बढ़ाने के बाद मुइज़्ज़ू की आक्रामकता कम होती गई.

मोदी मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे और राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू के साथ द्विपक्षीय वार्ता में शामिल होंगे. दोनों नेता अक्टूबर 2024 में हुए समझौतों की प्रगति की समीक्षा करेंगे. मालदीव के मीडिया में कहा जा रहा है कि पीएम मोदी कई संयुक्त परियोजनाओं का उद्घाटन भी करेंगे.

हालांकि, सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के दौरे को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं.

मालदीव के धार्मिक संगठन सलफ़ जमीअत के अध्यक्ष अब्दुल्लाह बिन मोहम्मद इब्राहिम ने पीएम मोदी को मुस्लिम विरोधी बताया था, हालांकि बाद में उन्होंने इस पोस्ट को डिलीट कर दिया. अब्दुल्लाह, राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू की पत्नी साजिदा मोहम्मद के भाई हैं.

हसन कुरुसी नाम के एक एक्स अकाउंट से पीएम मोदी के स्वागत में मालदीव की सड़कों पर भारत के राष्ट्रध्वज लगाए जाने की तस्वीर पोस्ट की गई. इसमें लिखा गया है कि भारतीय हम पर हंस रहे हैं और मालदीव के स्वतंत्रता दिवस पर भारत का राष्ट्रध्वज ज़्यादा दिखाई दे रहा है.

एक अन्य एक्स यूजर ने लिखा है कि यह सामान्य प्रोटोकॉल है कि कोई भी राष्ट्राध्यक्ष आता है तो वहाँ का राष्ट्रध्वज हमारी सड़कों पर लगता है, लेकिन मालदीव के स्वतंत्रता दिवस पर किसी दूसरे देश का राष्ट्रध्वज लगना असामान्य है.

एक अन्य पोस्ट में लिखा गया है कि हिन्दुत्व के झंडाबरदार पीएम मोदी हमारे स्वतंत्रता दिवस पर मुख्य अतिथि हैं. हाल के इतिहास में किसी भी देश ने अपनी स्वतंत्रता को आर्थिक शिकंजा, सैन्य मौजूदगी और राजनीतिक हस्तक्षेप से इतना कमज़ोर नहीं किया है.

मालदीव के पत्रकार इब्राहिम माहिल मोहम्मद ने कहा है कि मालदीव ने शुरू में भारत के विकल्प के तौर पर चीन और खाड़ी के देशों को देखना शुरू किया, लेकिन जल्द ही हक़ीक़त का अहसास हो गया. मुइज़्ज़ू के पास भारत के साथ संबंध ठीक करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

विदेशी नीति विशेषज्ञ इंद्राणी बागची कहती हैं कि मुइज़्ज़ू को भारत से प्यार होना ज़रूरी नहीं है, पर दुश्मनी नहीं होनी चाहिए. मालदीव एक इस्लामिक देश है और भारत के साथ पीएम मोदी को वे दूसरे नज़रिए से देखते हैं.

मालदीव, हिन्द महासागर के बड़े समुद्री रास्तों के पास स्थित है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार और भारत में ऊर्जा आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है. ऐसे में भारत का मालदीव से संबंध ख़राब होना किसी भी लिहाज़ से ठीक नहीं माना जा रहा है.

बागची कहती हैं कि हमें इस सोच से ऊपर हो जाना चाहिए कि हमारे जो पड़ोसी देश हैं, उन्हें कहीं से भी ज़रूरत नहीं है कि हमें प्यार करें. लेकिन ये ज़रूरी है कि हमारे साथ रहने और चलने का फ़ैसला ले लें.

मालदीव छोटे-छोटे क़रीब 1200 द्वीपों का समूह है और रणनीतिक रूप से भारत के लिए महत्वपूर्ण है.

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