उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ‘सद्भाव वाली पॉलिटिक्स’ पर जोर दे रहे हैं। उनकी सांसद इकरा हसन ने जहां सहारनपुर में कांवड़ियों के शिविर में शिरकत की, वहीं अखिलेश खुद संसद मार्ग स्थित एक मस्जिद में पहुंचे और वहां राजनीतिक बैठक की।
अखिलेश के इस कदम पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी, इसे असंवैधानिक करार दिया और सपा पर धार्मिक स्थलों का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
अखिलेश यादव ने बीजेपी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि आस्था जोड़ती है और जो आस्था जोड़ने का काम करती है, हम उसके साथ हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी चाहती है कि दूरियां बनी रहें, जबकि हम सभी धर्मों में आस्था रखते हैं। अखिलेश ने बीजेपी पर धर्म को हथियार बनाने का आरोप लगाया।
कैराना से सपा सांसद इकरा हसन ने 19 जुलाई को अपने लोकसभा क्षेत्र में कांवड़ यात्रा के लिए आयोजित सेवा शिविरों का उद्घाटन किया। उन्होंने शिवभक्तों को भोजन परोसकर सामाजिक सौहार्द और एकता का संदेश दिया। इकरा हसन ने कहा कि श्रद्धा, सेवा और सहयोग ही हमारे समाज की सबसे बड़ी ताकत हैं और हमें शांति, भाईचारे व संवैधानिक मूल्यों के साथ खड़ा होना चाहिए।
सपा की इस सद्भाव वाली पॉलिटिक्स का क्या मतलब है? मुस्लिम सपा का कोर वोटबैंक रहा है, लेकिन पार्टी को यह भी पता है कि सिर्फ मुस्लिम वोट के सहारे सत्ता तक नहीं पहुंचा जा सकता है। इसके लिए हिंदू वोट की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ेगी। कांवड़ यात्रा में हिंदुओं को खुश करने के लिए सपा ने अपने मुस्लिम सांसद को उतारकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह सिर्फ किसी एक धर्म की नहीं, बल्कि सभी धर्मों की पार्टी है।
अखिलेश की यही सोशल इंजीनियरिंग 2024 के लोकसभा चुनाव में कारगर साबित हुई थी। पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 37 सीटों पर जीत हासिल की थी। सपा के पुनरुत्थान ने कई चुनाव विशेषज्ञों को चौंका दिया था।
बुंदेलखंड, जो पहले बसपा का गढ़ था और जहां 2014 के बाद से बीजेपी ने अपनी पकड़ मजबूत की थी, वहां भी सपा ने अप्रत्याशित रूप से अच्छा प्रदर्शन किया। अखिलेश यादव के नेतृत्व में, पार्टी ने कन्नौज, इटावा और बदायूं में जीत हासिल करके यादव क्षेत्र पर भी कब्ज़ा जमा लिया था।
अयोध्या मंडल में बीजेपी को पूरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। सपा ने फैजाबाद, अंबेडकर नगर और सुल्तानपुर में जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने बाराबंकी और अमेठी पर कब्जा कर लिया।
सपा के पुनरुत्थान का श्रेय सोशल इंजीनियरिंग पर उसके जोर और संविधान बचाओ की उसकी प्रतिज्ञा को दिया गया था। पारंपरिक मुस्लिम-यादव वोट बैंक की छवि को तोड़कर, पार्टी ने गैर-यादव अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के बीच महत्वपूर्ण पैठ बनाई।
अखिलेश यादव की पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) रणनीति कारगर साबित हुई, खासकर पारंपरिक मुस्लिम-यादव समर्थन के साथ-साथ जाटवों और कुर्मियों को आकर्षित करने में।
जिस सोशल इंजीनियरिंग वाले फॉर्मूले को अपनाकर सपा ने 2024 के चुनाव में अपना जलवा दिखाया था, वही फॉर्मूला 2027 के विधानसभा चुनाव में भी वह अपनाती दिख रही है।
*लोकसभा क्षेत्र में कांवड़ यात्रा के लिए सेवा शिविरों का उद्घाटन किया और शिवभक्तों को भोजन परोसने का सौभाग्य मिला।
— Iqra Hasan (@IqraMunawwar_) July 19, 2025
श्रद्धा, सेवा और सहयोग यही हमारे समाज की सबसे बड़ी ताक़त है।
आज वक्त है कि हम सब मिलकर शांति, भाईचारे और संविधानिक मूल्यों के साथ खड़े हों।#Shravan2025 #IqraHasan pic.twitter.com/bPz3t8DGpu
नमकीन के पैकेट में किताबें! लड़के का देसी जुगाड़ देख लड़कियां हुईं हैरान
देश चलाने के लिए भीख चाहिए! प्लेन क्रैश पर चंदा मांगकर फंसे यूनुस, डिलीट किया पोस्ट
ये नॉनसेंस बंद कीजिए... कांवड़ में अश्लील डांस पर अनुराधा पौडवाल का फूटा गुस्सा
आतंकी हमले में भी धर्म? जमीयत की संकीर्ण सोच का विश्लेषण
सूट-बूट, कार, डिप्लोमैटिक प्लेट और करोड़ों का स्कैम - ये कोई फिल्म नहीं, हकीकत है!
बिहार विधानसभा में ‘बाप’ पर बवाल, RJD विधायक के बयान से स्पीकर नाराज़!
पाकिस्तान की शर्मनाक हार: शाहीन-3 परमाणु मिसाइल परीक्षण में विफल, आबादी के करीब गिरने से बलूच भड़के
शुभमन गिल पर करुण नायर वाली बीमारी का साया, मैनचेस्टर में हुई चूक!
लखनऊ में पुलिस मुठभेड़: बदमाश घायल, साथी फरार, हथियार और नकदी बरामद
इंग्लैंड की गेंदबाजी, भारत तीन बदलावों के साथ मैदान में, कंबोज का डेब्यू!