हमार बेटा तेजस्वी को मुख्यमंत्री बना दें नीतीश कुमार : राबड़ी देवी का चौंकाने वाला बयान
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बिहार में बढ़ते अपराधों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि बिहार में जंगल राज लौट आया है और नीतीश कुमार को अब मुख्यमंत्री पद छोड़कर अपने बेटे तेजस्वी यादव को यह जिम्मेदारी सौंप देनी चाहिए।

राबड़ी देवी ने सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बिहार में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। अपराध इस कदर बढ़ गया है कि पूरे देश और दुनिया इसे देख रही है। ऐसी स्थिति में, नीतीश कुमार को अब मेरे बेटे को मुख्यमंत्री बना देना चाहिए।

भोजपुरी में बोलते हुए राबड़ी देवी ने कहा, नीतीश जी इस्तीफा दे चाहे ना दें लेकिन हमार बेटा तेजस्वी के मुख्यमंत्री बना दें।

गौरतलब है कि राबड़ी देवी 2000 से 2005 तक बिहार की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। तेजस्वी यादव भी महागठबंधन की दो अल्पकालिक सरकारों में उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं।

बिहार में हाल ही में कई हाई-प्रोफाइल हत्याएं हुई हैं, जिससे कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इनमें कारोबारी गोपाल खेमका, चंदन मिश्रा और दो स्थानीय नेताओं की हत्याएं शामिल हैं।

सबसे ताजा मामला राजधानी पटना का है, जहां एक व्यक्ति को अस्पताल के आईसीयू में ही गोली मार दी गई। इस घटना का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें पांच हथियारबंद हमलावर आईसीयू में घुसकर फायरिंग करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री और नीतीश कुमार के सहयोगी चिराग पासवान ने भी कानून व्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अपराधी खुलेआम कानून को चुनौती दे रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले बढ़ती वारदातें चिंता का विषय हैं और सरकार को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

यह ध्यान देने योग्य है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास गृह विभाग की जिम्मेदारी भी है।

इसके अतिरिक्त, राबड़ी देवी ने बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट रिवीजन (SIR) अभियान पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग जानबूझकर लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटा रहा है।

राबड़ी देवी ने कहा कि बिहार के लाखों लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं, जो रोजगार के लिए बाहर गए हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग न तो बिहार के बाहर के हैं और न ही देश के बाहर के नागरिक। राबड़ी देवी ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग सरकार के इशारे पर यह कर रहा है, जो कि गलत है।

विशेष रूप से, 22 वर्षों के बाद बिहार में यह विशेष अभियान चुनावी सूची से फर्जी और अयोग्य नामों को हटाने के लिए किया जा रहा है। हालांकि, विपक्ष का दावा है कि इससे लाखों वास्तविक मतदाता वंचित हो सकते हैं।

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