भोपाल गैस त्रासदी भारतीय इतिहास का वो दर्दनाक अध्याय है, जिसे याद कर आज भी लाखों लोग सिहर उठते हैं। ये सिर्फ एक मानवीय भूल नहीं थी, बल्कि सरकारी लापरवाही और संवेदनहीनता का चरम उदाहरण था। सैकड़ों भारतीयों को कीड़े-मकोड़ों की तरह मरने के लिए छोड़ दिया गया और गुनहगार को सम्मान के साथ उसके देश लौटा दिया गया।
हर साल 2 और 3 दिसंबर को देश उस खौफनाक रात की याद में सिसकता है, जिसने हज़ारों जिंदगियां निगल लीं, लेकिन उसका कोई कसूरवार नहीं मिला। 1984 में यूनियन कार्बाइड संयंत्र में रिसाव के बाद 5 लाख से अधिक लोग मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) नामक जहरीली गैस के संपर्क में आ गए थे।
भोपाल गैस कांड के चार दिन बाद 7 दिसंबर को यूनियन कार्बाइड के मालिक वारेन एंडरसन भोपाल पहुंचा। उसे गिरफ्तार किया गया, लेकिन महज 25 हजार रुपए में जमानत दे दी गई। उसे यूनियन कार्बाइड के गेस्ट हाउस में नजरबंद रखा गया, मगर पूरा सिस्टम उसे भागने में मदद कर रहा था। रातों रात उसे सरकारी विमान से दिल्ली लाया गया, जहां से वो अमेरिका रवाना हो गया।
मध्य प्रदेश के पूर्व विमानन निदेशक आरएस सोढ़ी के अनुसार, उन्हें भोपाल से दिल्ली के लिए एक सरकारी विमान तैयार रखने को कहा गया था। उस समय भोपाल के पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी एंडरसन को विमान में चढ़ाने के लिए खुद गए थे। तब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे।
अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के दस्तावेजों के अनुसार, एंडरसन की रिहाई के आदेश खुद राजीव गांधी सरकार ने दिए थे। 1984 में भोपाल के पुलिस अधीक्षक रहे स्वराज पुरी ने बताया कि उन्हें लिखित आदेश पर एंडरसन को गिरफ्तार किया, लेकिन मौखिक आदेश पर रिहा कर दिया गया। उन्होंने दावा किया कि मौखिक आदेश उच्च अधिकारियों से आया था।
कहा जाता है कि राजीव गांधी ने एंडरसन को अपने बचपन के मित्र आदिल शहरयार की रिहाई के बदले में भारत से भागने की अनुमति दी थी। शहरयार अमेरिका में 35 साल की सजा काट रहा था। फ्लोरिडा जिला अदालत ने उसे गुंडागर्दी और धोखाधड़ी सहित पांच मामलों में दोषी पाया था।
मुकदमे से बचने के लिए एंडरसन के भारत भाग जाने के कुछ ही समय बाद अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने शहरयार को राष्ट्रपति माफी जारी कर दी और वह भारत लौट आया।
वॉरेन एंडरसन का भागना आज भी त्रासदी के पीड़ितों के साथ एक बड़ा विश्वासघात माना जाता है। सितंबर 2014 में उसकी मृत्यु हो गई, त्रासदी में उसकी कथित भूमिका के लिए कोई परिणाम नहीं भुगतना पड़ा।
एक अन्य सिद्धांत के अनुसार, गांधी परिवार के परम मित्र रहे मुहम्मद यूनुस ने राजीव गांधी को धमकी दी थी कि यदि वह शहरयार की रिहाई सुनिश्चित करने में असमर्थ रहे, तो वह नेताजी बोस के संबंध में नेहरू की भागीदारी के बारे में हानिकारक रहस्य उजागर करेंगे।
क्या वास्तव में एंडरसन के भागने में राजीव गांधी ने मदद की, यह शायद कभी पता नहीं चल पाएगा। लेकिन नेहरू-गांधी परिवार के इतिहास को देखते हुए, इस मामले में जो दिखता है उससे कहीं अधिक कुछ हो सकता है।
*इतिहास की सबसे बड़ी ट्रेजेडी भोपाल गैस कांड है लेकिन तब कांग्रेस सरकारो का पूरा ध्यान बचाव कार्य पर नहीं था बल्कि मुख्य गुनहगार एंडरसन को बचाने पर था
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) November 28, 2023
खुद भोपल के SP उसे सरकारी कार में बिठाकर एयरपोर्ट छोड़े फिर सरकारी विमान से दिल्ली गया और उसे दिल्ली से अमेरिका भगा दिया गया pic.twitter.com/6OYQbYNCPR
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