खत्म हुए गिले-शिकवे! गहलोत से मिले पायलट, दिया कार्यक्रम का न्योता
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राजस्थान कांग्रेस के लिए यह एक बड़ी राहत की खबर है. दो दिग्गज नेताओं के बीच लंबे समय से चल रहा आपसी संघर्ष अब थमता हुआ दिख रहा है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट ने कल शनिवार को अशोक गहलोत के आवास पर जाकर उन्हें अपने पिता, पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया.

दोनों दिग्गजों के बीच यह मुलाकात राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है. यह मुलाकात एक घंटे से अधिक समय तक चली. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री, जिनके बीच लंबे समय से कटु संबंध रहे हैं, ने इस मुलाकात को लेकर सोशल मीडिया X पर पोस्ट कर जानकारी भी दी.

मुलाकात के बाद सचिन पायलट ने कहा कि उनका पूर्व मुख्यमंत्री के आवास पर जाना केवल उन्हें बुधवार को होने वाले कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए था.

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट के साथ मुलाकात का एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और कहा कि वे और राजेश पायलट 1980 में एक साथ लोकसभा के लिए चुने गए थे और उनके बीच 18 साल तक लंबा रिश्ता बना रहा. उन्होंने यह भी कहा कि वे 2000 में राजेश पायलट की अचानक मौत से अभी भी दुखी हैं, जिसे उन्होंने कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका बताया.

पायलट ने भी इस मुलाकात की फोटो साझा की और X पर लिखा, आज पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की. उनसे 11 जून को मेरे पिता राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर दौसा में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में शामिल होने का अनुरोध किया.

पिछले कुछ सालों में दोनों के बीच यह पहली मुलाकात है. राजेश पायलट की जून 2000 में जयपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर उनके संसदीय क्षेत्र दौसा के भंडाना में एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी.

राजनीतिक हलकों में यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है क्योंकि कांग्रेस जब राजस्थान में सत्ता में थी तब दोनों के रिश्ते काफी खराब हो गए थे. गहलोत की ओर से उन्हें निकम्मा और नकारा तक कहा गया था. गहलोत की तरह पायलट ने भी इस मुलाकात की जानकारी दी और फोटो भी शेयर की.

दोनों के बीच अदावत की शुरुआत साल 2018 में हुई, जब राजस्थान में सत्ता में लौटने के बाद कांग्रेस की ओर से पायलट की जगह गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया गया. यह सब तब हुआ जब 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद राजस्थान में पार्टी को पुनर्जीवित करने का जिम्मा पायलट को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दिया गया. लेकिन सत्ता में आने पर पायलट को यह गद्दी नहीं मिली. इसके बाद से पायलट नाराज ही रहे और उनका गहलोत के साथ मनमुटाव लगातार बना रहा.

हालांकि युवा नेता पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन उनकी नाराजगी बनी रही. करीब 2 साल बाद यह नाराजगी खुलकर सामने आ गई जब पायलट ने साल 2020 में गहलोत की नेतृत्व शैली के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. तब से राज्य में पार्टी में 2 गुट बन गए थे.

इस मुलाकात को लेकर सूत्रों का कहना है कि राजेश पायलट की पुण्यतिथि से जुड़े कार्यक्रम पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं, क्योंकि इसमें शामिल होने से यह पता लगाया जा सकेगा कि कौन किस गुट में है. अब अगर गहलोत इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होते हैं तो पायलट के लिए यह कहना आसान रहेगा कि उन्होंने इस वरिष्ठ नेता के साथ रिश्ते सही करने की पहली कोशिश उन्होंने खुद की थी.

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