तालिबान का हमला: पाकिस्तानी चेकपोस्ट ध्वस्त, सेना ने छोड़ी चौकियां!
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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच डूरंड रेखा पर तनाव फिर से बढ़ गया है. हेलमंद प्रांत और बलूचिस्तान के चगई ज़िले के पास, बहराम चह सीमा चौकी पर हाल ही में हुई सैन्य झड़पों ने क्षेत्रीय शांति के लिए एक नया खतरा पैदा कर दिया है.

यह तनाव तब शुरू हुआ जब अफगान तालिबान बलों ने अपने क्षेत्र में एक नई सीमा चौकी का निर्माण शुरू किया. पाकिस्तान ने इस निर्माण को पूर्व में हुए समझौतों का उल्लंघन बताते हुए विरोध किया और गोलीबारी की. जवाब में, तालिबान ने पाकिस्तानी चेकपोस्ट पर मोर्टार दागे, जिससे चौकी पूरी तरह से नष्ट हो गई.

संघर्ष बढ़ने के कारण चगई ज़िले में लगभग ढाई लाख नागरिकों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है. तालिबान ने हेलमंद क्षेत्र में भी नागरिकों से सीमावर्ती इलाकों को खाली करने के लिए कहा है. पाकिस्तानी प्रशासन ने स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों को बंद कर दिया है और अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. लोग अपनी सुरक्षा के लिए बंकरों की तलाश कर रहे हैं.

झड़प के बाद, दोनों पक्षों ने सीमा पर अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है. तालिबान ने कंधार की 205वीं कोर को बहराम चह के पास तैनात किया है, जिसमें 50 से अधिक आत्मघाती हमलावर शामिल हैं. पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में फ्रंटियर कोर बलूचिस्तान के अतिरिक्त सैनिक और टैंक भेजे हैं. चिंता की बात यह है कि पाकिस्तानी सेना ने चार से ज्यादा चेकपोस्ट खाली कर दी हैं, जिनमें से कई रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं.

बहराम चह क्षेत्र न केवल ड्रग्स और हथियारों की तस्करी का रास्ता है, बल्कि यह सैन्य दृष्टिकोण से भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस पर नियंत्रण खोना, खासकर पाकिस्तान के लिए, सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है.

स्थिति को और जटिल बनाते हुए, बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने तालिबान का समर्थन करने का दावा किया है. खबरों के अनुसार, बीएलए ने हाल ही में ऑपरेशन हेरोफ 2.0 के तहत 51 जगहों पर 71 हमले किए, जिनका उद्देश्य पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना था. अगर यह गठबंधन सच साबित होता है, तो यह पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है.

सुरक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर इस संघर्ष को जल्दी ही बातचीत के जरिए नहीं सुलझाया गया, तो इससे न केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध बिगड़ेंगे, बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है. यह टकराव इसलिए भी गंभीर है क्योंकि यह दो ऐसे पक्षों के बीच हो रहा है जो एक-दूसरे को कानूनी रूप से मान्यता नहीं देते हैं, लेकिन सीमा नियंत्रण और सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं.

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