पाकिस्तान में हिंदू देवी-देवताओं की पूजा: क्या आप विश्वास करेंगे?
News Image

पाकिस्तान में, जहां अल्पसंख्यकों के हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं, हिंदूकुश की पहाड़ियों में एक अनोखी जनजाति अपनी परंपराओं और संस्कृति को संजोए हुए है.

अफगानिस्तान की सीमा के पास, दुर्गम हिंदूकुश पर्वत श्रृंखला की घाटियों में कलाश नाम की यह जनजाति रहती है. यह जनजाति मूर्तिपूजक है और इसकी परंपराएं हिंदू रीति-रिवाजों से मिलती-जुलती हैं.

कलाश जनजाति की स्त्रियां अपनी विशिष्ट सुंदरता के लिए जानी जाती हैं. वे रंग-बिरंगे परिधान पहनती हैं और खास तरह की पहाड़ी टोपी और पक्षियों के पंखों से खुद को सजाती हैं. इस जनजाति की महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा प्राप्त है. वे घर की आर्थिक जिम्मेदारियों में अहम भूमिका निभाती हैं, भेड़-बकरियों की देखभाल करती हैं और माला, पर्स जैसे सामान तैयार करके परिवार की आजीविका में योगदान देती हैं.

कलाश जनजाति में महिलाओं को अपने जीवनसाथी चुनने की आजादी है. साल में तीन बार गंजूलिक नाम का उत्सव आयोजित होता है, जिसमें युवक-युवतियां एक-दूसरे से मिलते हैं. यदि कोई लड़की किसी लड़के को पसंद करती है, तो वह उसके साथ जा सकती है. यहां तक कि विवाह के बाद भी, यदि महिला किसी अन्य पुरुष के साथ जाना चाहे, तो उसे रोका नहीं जाता. विवाह संबंधों को लेकर समाज में खुलापन है, हालांकि मासिक धर्म के समय महिलाओं को अलग रहने की परंपरा आज भी कायम है. इस दौरान वे एक विशेष सामुदायिक भवन में रहती हैं, जहां सभी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं. उनका मानना है कि इस दौरान शारीरिक दूरी बनाए रखना देवी-देवताओं की कृपा के लिए आवश्यक है.

इतिहासकारों के अनुसार, कलाश जनजाति का इतिहास सिकंदर महान के युग से भी पुराना है. माना जाता है कि सिकंदर की सेनाओं के संपर्क में आने के बाद इस जनजाति के रक्त में कुछ मिश्रण अवश्य हुआ होगा. इसी वजह से कुछ लोग इन्हें सिकंदर के वंशज भी मानते हैं. फिर भी, यह जनजाति हजारों सालों से अपनी संस्कृति, धर्म और परंपराओं को बनाए रखने में सफल रही है.

पाकिस्तान की 2018 की जनगणना के अनुसार, इस जनजाति की कुल जनसंख्या लगभग चार हजार है. पाक सरकार ने हाल ही में उन्हें एक अलग जनजातीय पहचान दी है. कलाश लोग शिव, इंद्र और यम जैसे हिंदू देवी-देवताओं से मिलते-जुलते देवताओं की पूजा करते हैं, लेकिन वे स्वयं को हिंदू नहीं मानते. उनका धर्म और रीति-रिवाज पूरी तरह से स्वतंत्र और अद्वितीय हैं.

इस तरह, पाकिस्तान की मुख्यधारा से कटे हुए हिंदूकुश के इन पहाड़ों में कलाश जनजाति एक जीवित विरासत की तरह विद्यमान है, जो आधुनिकता के प्रभाव से दूर रहकर अपनी परंपराओं को जीवित रखे हुए है.

कुछ अन्य वेब स्टोरीज

Story 1

IPL 2025: सुदर्शन छाए, किस खिलाड़ी ने जीता कौन सा अवॉर्ड, जानिए पूरी लिस्ट

Story 1

बाप रे बाप! युवक ने अजगर से लड़कर हिरण की जान बचाई, वायरल हुआ वीडियो

Story 1

IPL 2025: कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को बताया T20 से पांच पायदान ऊपर

Story 1

बड़वानी में दहशत: रहस्यमयी जानवर का आतंक, 6 की मौत, 17 घायल!

Story 1

RCB की ऐतिहासिक जीत: विराट कोहली के आंसू, गेल और डिविलियर्स भी जश्न में डूबे!

Story 1

देखो, 18 साल वेट किया और तुम...? RCB की जीत पर दिल्ली पुलिस का मजेदार पोस्ट वायरल!

Story 1

मौसम का रौद्र रूप: IMD ने 11 राज्यों में जारी किया ऑरेंज अलर्ट, भारी बारिश की चेतावनी

Story 1

IMF का भरोसा: 2030 तक भारत बनेगा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था!

Story 1

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक

Story 1

पाकिस्तान का धार्मिक कार्ड हुआ फेल, मलेशिया ने दिखाया आईना, भारत के पक्ष में खड़ा