स्विट्जरलैंड का खूबसूरत ब्लैटेन गांव कहां गायब हो गया? ग्लेशियर की तबाही का मंजर!
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स्विट्जरलैंड के खूबसूरत ब्लैटेन गांव में 28 मई 2025 को एक भयानक प्राकृतिक आपदा ने सब कुछ तबाह कर दिया. बिर्च ग्लेशियर का एक बड़ा हिस्सा टूटकर गांव पर गिर गया.

बर्फ, कीचड़ और चट्टानों का सैलाब आ गया. गांव का 90% हिस्सा मलबे में दब गया, जबकि बाकी बचे घर बाढ़ में डूब गए. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह जलवायु परिवर्तन का खतरनाक नतीजा है.

ब्लैटेन, स्विट्जरलैंड के वालिस क्षेत्र में स्थित एक छोटा सा गांव था. 28 मई को दोपहर करीब 3:30 बजे, बिर्च ग्लेशियर का लगभग 15 लाख घन मीटर हिस्सा टूटकर गिरा.

इस हिमस्खलन ने बर्फ, कीचड़ और चट्टानों से गांव को पूरी तरह दबा दिया. ड्रोन और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में एक विशाल धूल का बादल गांव को ढकता दिखा.

गांव के 300 निवासियों को पहले ही 19 मई को सुरक्षित निकाल लिया गया था, क्योंकि वैज्ञानिकों ने ग्लेशियर के अस्थिर होने की चेतावनी दी थी. हालांकि, एक 64 वर्षीय व्यक्ति अभी भी लापता है, जिसकी तलाश मलबा अस्थिर होने के कारण रोक दी गई है.

हिमस्खलन ने लोन्ज़ा नदी को रोक दिया, जिससे एक बड़ी कृत्रिम झील बन गई. इस झील का पानी हर घंटे 80 सेंटीमीटर बढ़ रहा है, जिससे बचे हुए घर भी बाढ़ में डूब गए. पास के गांवों से भी कुछ लोगों को सुरक्षित निकाला गया.

वालिस के सुरक्षा प्रमुख स्टीफन गैंज़र ने कहा कि अगर मलबा फर्डन डैम को तोड़ दे, तो और तबाही हो सकती है. हालांकि, डैम को पहले ही खाली कर दिया गया है, ताकि यह अतिरिक्त पानी को रोक सके. स्विस सेना के 50 जवान राहत कार्य के लिए तैनात हैं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह आपदा जलवायु परिवर्तन की वजह से हुई. स्विट्जरलैंड में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, और पर्माफ्रॉस्ट भी पिघल रही है. पर्माफ्रॉस्ट पहाड़ों को स्थिर रखने वाली गोंद की तरह काम करती है, और इसके पिघलने से चट्टानें और ग्लेशियर अस्थिर हो जाते हैं.

स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर मॉनिटरिंग के प्रमुख मथियास हुस ने कहा कि ऐसी घटनाएं सैकड़ों सालों में नहीं देखी गईं. स्विस आल्प्स का तापमान 1970 के दशक से 3 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. 2000 से अब तक ग्लेशियरों का 40% हिस्सा पिघल चुका है.

ब्लैटेन के मेयर मथियास बेलवाल्ड ने कहा कि उन्होंने अपना गांव खो दिया है, लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा है. पास के रिएड गांव के वर्नर बेलवाल्ड ने बताया कि उनका 1654 में बना पुश्तैनी घर भी मलबे में दब गया.

यह पहली बार नहीं है जब स्विट्जरलैंड में ऐसी आपदा हुई है. 2023 में पूर्वी स्विट्जरलैंड के ब्रिएन्ज़ गांव को भी हिमस्खलन के डर से खाली कराया गया था. 2017 में बोंडो गांव में एक हिमस्खलन ने आठ लोगों की जान ले ली थी.

स्विस सेना और स्थानीय अधिकारी मलबे को हटाने और बाढ़ से निपटने की कोशिश कर रहे हैं. स्विस राष्ट्रपति करिन केलर-सटर ब्लैटेन का दौरा करेंगी, और सरकार ने प्रभावित लोगों के लिए आर्थिक मदद का वादा किया है.

वैज्ञानिकों ने पहले ही ग्लेशियर की अस्थिरता की चेतावनी दी थी, जिसके कारण गांव को खाली कराया गया. यह घटना जलवायु परिवर्तन का एक बड़ा उदाहरण है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं रोका गया, तो स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर 2100 तक पूरी तरह गायब हो सकते हैं. ब्लैटेन गांव की तबाही ने पूरी दुनिया को जलवायु परिवर्तन के खतरों की याद दिला दी है.

300 लोग बेघर हो गए हैं, और एक व्यक्ति अभी भी लापता है. यह घटना हमें बताती है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए अभी से कदम उठाने होंगे, वरना ऐसी आपदाएं और बढ़ेंगी.

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