करीब 17 करोड़ की आबादी वाला बांग्लादेश एक बार फिर राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है। राजनीतिक घटनाएं अहम संकेत दे रही हैं।
राजधानी ढाका में विरोधी दलों और छात्र संगठनों का विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। लॉन्ग मार्च और प्रदर्शन के बीच राजधानी ढाका में सेना तैनात होनी शुरू हो गई है।
ढाका के बड़े चौराहों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के आसपास सेना के जवान दिखने लगे हैं। सेना की बख्तरबंद गाड़ियां और AK-47 लिए बांग्लादेश आर्मी के गार्ड्स ढाका की सड़कों पर मार्च कर रहे हैं।
बांग्लादेश आर्मी के चीफ जनरल वकार-उज्ज-जमान ने मोहम्मद यूनुस को दिसंबर 2025 तक चुनाव कराने का अल्टीमेटम दे दिया है।
क्या बांग्लादेश में इतिहास खुद को दोहरा रहा है? क्या मोहम्मद यूनुस की रुखसती का टाइम आ गया?
बांग्लादेश में तख्तापलट के नौ महीने बाद एक बार फिर हालात बिगड़ने लगे हैं। 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्तापलट कर दिया गया था।
पाकिस्तान समर्थक जमात-ए-इस्लामी, अमेरिका और ISI के सहयोग से मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार बन गए थे।
5 अगस्त 2024 को ढाका में उन्मादियों की एक भीड़ ने पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी थी। तब ढाका के शाहबाग चौराहे पर बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान की मूर्ति को जमात समर्थक भीड़ ने तोड़ दिया था। उसी शाहबाग में आज नई साजिश रची जा रही है।
यह साजिश बांग्लादेश से शेख मुजीब की सेकुलर पहचान मिटाकर खुद को फादर ऑफ बांग्लादेश घोषित करने की है। यह प्लानिंग 1971 के पाकिस्तान टूटने के चैप्टर को किताबों से हटाने की है।
बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार का नया चैप्टर खोलने की और बांग्लादेश के सेक्युलर कैरेक्टर को बदलकर इसे कट्टरपंथी समाज में बदलने और भारत विरोध का नया नैरेटिव गढ़ने की साजिश रची जा रही है।
शनिवार को ढाका के ऐतिहासिक शाहबाज चौराहे पर March for Yunus नाम से विशाल जनसभा का आयोजन किया गया। इस दौरान यूनुस समर्थकों ने पहले सुधार, फिर चुनाव और यूनुस को पांच साल सत्ता में रखा जाए जैसे नारे लगाए।
ढाका का ऐतिहासिक शाहबाग बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी का अहम सेंटर हुआ करता था। शेख मुजीब और उनके समर्थक यहां पाकिस्तान के खिलाफ बैठक किया करते थे। 1971 के युद्ध अपराधियों के खिलाफ शाहबाग जनक्रांति का केंद्र था।
उसी शाहबाग मैदान में कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी और हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम यूनुस के समर्थन में रैली का आयोजन कर रहे है। इन समर्थकों का मकसद यूनुस के चेहरे का इस्तेमाल कर बांग्लादेश को कट्टरपंथी इस्लामी राष्ट्र में बदलना है और इसके सबूत तख्तापलट के बाद से ही दिखने लगे थे, जब बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का नया दौर शुरू हो गया।
बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार, उनकी संपत्तियों की लूट और आगजनी की ये सबसे ताजा मिसाल है। अभयनगर में इस्लामी कट्टरपंथियों ने पहले हिंदुओं के घरों में लूटपाट की और फिर उसे आग के हवाले कर दिया।
बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से अबतक 33 हिंदुओं की हत्या हो चुकी है। हिंदू मंदिरों पर हमले की 152 घटनाएं हुई हैं।
मंदिरों को निशाना बनाने के दौरान 92 मूर्तियों को खंडित किया गया। ढाका से चटगांव तक हिंदुओं के करीब 200 घरों को तोड़ा गया। 5 अगस्त के बाद बांग्लादेश में हुई हिंसा में बड़े पैमाने पर बांग्लादेश पुलिस के हिंदू जवानों को भी निशाना बनाया गया।
#DNAWithRahulSinha | ढाका की सड़क पर फिर से टैंक उतर गया! पाकिस्तान से पहले बांग्लादेश में तख्तापलट?
— Zee News (@ZeeNews) May 24, 2025
कट्टर यूनुस के शाहबाग प्लान का विश्लेषण#DNA #BangladeshCrisis #Dhaka @RahulSinhaTV pic.twitter.com/RIa3UTlWRh
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