नक्सलियों का सफाया! छत्तीसगढ़ में 27 माओवादियों का खात्मा, जवानों का जश्न
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छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों ने बुधवार को बीजापुर-नारायणपुर जिले की सीमा पर स्थित अबूझमाड़ के जंगल में एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए 27 नक्सलियों को मार गिराया. यह नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़े अभियानों में से एक माना जा रहा है.

मारे गए नक्सलियों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू भी शामिल है, जिस पर एक करोड़ रुपये का इनाम था. मुठभेड़ में 12 महिला नक्सली भी मारी गईं.

21 मई को अबूझमाड़ के वन क्षेत्र में इस सफलता के बाद डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) के जवानों ने जमकर जश्न मनाया. वीडियो में जवान एक-दूसरे को अबीर लगाते हुए खुशी मनाते नजर आ रहे हैं.

बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि मारे गए नक्सलियों में से एक की पहचान बसवराजू (70) के रूप में हुई, जबकि अन्य की पहचान बाद में हुई. यह अभियान 18 मई को शुरू किया गया था.

पुलिस को जानकारी मिली थी कि माओवादियों की केंद्रीय समिति, पोलित ब्यूरो के सदस्य, माड़ डिवीजन के वरिष्ठ कैडर और पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) के सदस्य इलाके में मौजूद हैं. तीन दिन की खोज के बाद बुधवार सुबह मुठभेड़ हुई.

मारे गए नक्सलियों में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य जंगू नवीन भी शामिल था, जिस पर 25 लाख रुपये का इनाम था. इसके अलावा, चार माओवादी कंपनी पार्टी समिति सदस्य संगीता (35), भूमिका (35), सोमली (30) और रोशन उर्फ टीपू (35) पर 10-10 लाख रुपये का इनाम था.

शेष 21 नक्सलियों में तीन प्लाटून पार्टी समिति के सदस्य और पीएलजीए कंपनी नंबर सात के 18 सदस्य शामिल थे, जिन पर आठ-आठ लाख रुपये का इनाम था.

मुठभेड़ स्थल से तीन एके-47 राइफल, चार सेल्फ लोडिंग राइफल (एसएलआर), छह इंसास राइफल, एक कार्बाइन, छह .303 राइफल, एक बैरल ग्रेनेड लांचर (बीजीएल), दो रॉकेट लांचर, 12 बोर की दो बंदूकें, एक देशी पिस्तौल, दो भरमार बंदूकें और भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किए गए हैं.

बसवराजू पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक करोड़ रुपये, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने 50 लाख रुपये, आंध्र प्रदेश और ओडिशा सरकारों ने 25-25 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था. अनुमान है कि उस पर कुल 10 करोड़ रुपये का इनाम था.

गगन्ना, बीआर दादा, प्रकाश, कृष्णा और दारापु नरसिंह रेड्डी के नाम से भी जाना जाने वाला बसवराजू 1970 के दशक में नक्सली आंदोलन में शामिल हुआ था. आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले का रहने वाला बसवराजू वारंगल के इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक था.

बसवराजू ने 2018 में भाकपा (माओवादी) के महासचिव के रूप में पदभार संभाला था और मुप्पला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति की जगह ली थी. वह माओवादियों की केंद्रीय समिति का संस्थापक सदस्य, पोलित ब्यूरो का सदस्य और माओवादियों के केंद्रीय सैन्य आयोग का प्रमुख भी था.

बसवराजू सैन्य प्रशिक्षण में विशेष रूप से इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) और विस्फोटकों के इस्तेमाल में विशेषज्ञ था. वह 2004 के कोरापुट (ओडिशा) शस्त्रागार लूट में शामिल था, जिसमें नक्सलियों ने एक हजार उन्नत बंदूकें और अन्य हथियार लूटे थे.

बसवराजू 2005 के जहानाबाद जेल ब्रेक (बिहार) में भी शामिल था, जिसमें 389 कैदी फरार हो गए थे. वह 2010 के दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़) नरसंहार में भी शामिल था, जिसमें सीआरपीएफ के 76 जवान मारे गए थे. उस पर 2013 के झीरम घाटी हमले (बस्तर, छत्तीसगढ़) और 2018 में आंध्र प्रदेश में एक विधायक की हत्या में शामिल होने का भी आरोप है.

सुरक्षाबलों ने बसवराजू को मार गिराकर माओवादियों को बड़ा झटका दिया है.

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