अग्निवीर आकाशदीप सिंह की शहादत सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है, लेकिन उनके परिवार का कहना है कि उन्हें वह सम्मान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे।
15 मई, 2025 को जम्मू में ड्यूटी के दौरान गोली लगने से अग्निवीर आकाशदीप सिंह का निधन हो गया। अब उनके परिवार ने घोषणा की है कि वे अपने बेटे की अस्थियां तब तक विसर्जित नहीं करेंगे जब तक पंजाब सरकार उन्हें वह सम्मान नहीं देती जिसकी उन्हें उम्मीद है।
20 वर्षीय आकाशदीप फरीदकोट जिले के कोटकपुरा निर्वाचन क्षेत्र के कोठे चहल गांव के रहने वाले थे। वे दो साल पहले अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में शामिल हुए थे। उन्हें पंजाब सिख रेजिमेंट में तैनात किया गया था और उनकी पोस्टिंग जम्मू में थी। परिवार का आरोप है कि शहादत के बाद भी उन्हें न तो शहीद का दर्जा दिया गया और न ही कोई आधिकारिक बयान या मुआवजा घोषित किया गया।
आकाशदीप सिंह का अंतिम संस्कार 16 मई को किया गया था। परिवार के अनुसार, पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान उस समय मौजूद थे। हालांकि, राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान या मुआवजे की घोषणा नहीं की गई है।
आकाशदीप सिंह के पिता बलविंदर सिंह ने कहा, हम पंजाब सरकार के रवैये से परेशान हैं। अभी तक कोई घोषणा नहीं की गई है। स्पीकर कुलतार सिंह संधवान हमारे घर आए और दाह संस्कार में भी शामिल हुए, लेकिन मुख्यमंत्री की ओर से कोई बयान नहीं आया है। उन्होंने सवाल उठाया, आखिर ये अंतर क्यों है... हमारे बेटे के मामले में यह चुप्पी क्यों है?
आकाशदीप की मां करमजीत कौर ने कहा, मेरे बेटे की मौत ड्यूटी के दौरान हुई। जहरीली शराब पीने से मरने वालों को सरकारी नौकरी और 10 लाख रुपये का मुआवजा मिलता है, लेकिन मेरे बहादुर बेटे, जिसने देश की सेवा के लिए बीकॉम की पढ़ाई छोड़ दी, को अब तक मान्यता तक नहीं मिली है। सीएम ने एक शब्द भी नहीं कहा है।
करमजीत कौर ने आगे कहा, मेरे बेटे ने देश के लिए माथे पर गोली खाई है। उसने देश के लिए गोली खाई लेकिन कोई भी अधिकारी हमारे घर नहीं पहुंचा। मेरे बेटे को शहीदी का दर्जा मिलना चाहिए। 20 साल की उम्र में मेरा बेटा इस दुनिया से चला गया। मैं अपने बेटे की अस्थियों को तब तक नहीं बहाऊंगी, जब तक उसे शहीद का दर्जा नहीं दिया जाएगा। सरकार को हमारी बात सुननी पड़ेगी... उन्होंने क्यों इसपर चुप्पी साधे हुए है।
सोशल मीडिया पर अग्निवीर आकाशदीप सिंह को लेकर लोग अपनी संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं और सरकार से उचित सम्मान देने की मांग कर रहे हैं।
अग्निवीर आकाशदीप सिंह के परिवार ने अग्निपथ भर्ती योजना के उद्देश्य पर भी सवाल उठाया है। इस मामले की तुलना अक्टूबर 2023 की एक पुरानी घटना से की जा रही है, जब मानसा जिले के कोटली कलां गांव में भारत के पहले अग्निवीर की मौत हुई थी। 19 वर्षीय अमृतपाल सिंह की मौत एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया था। उसके बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने व्यक्तिगत रूप से परिवार से मुलाकात की और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी के साथ-साथ 1 करोड़ रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी। उस दौरान आदमी पार्टी (आप) के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने भी कहा था कि जब केंद्र ऐसा करने में विफल रहा, तो पंजाब सरकार ने सैनिक और उसके परिवार की देखभाल की।
*Mother hugged her son who was a Soldier without knowing this is her last hug.
— Jammu Kashmir News Network 🇮🇳 (@TheYouthPlus) May 19, 2025
Agniveer Akashdeep Singh achieved Sadgati after this in J&K
India salutes the supreme sacrifice of Akashdeep Singh who was just 21 year old braveheart who gave his life for the country on May 14th. pic.twitter.com/oFKlHB1DxR
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