गोली उन्होंने चलाई, धमाका हमने किया : भारतीय सेना का करारा जवाब
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जम्मू और कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तानी गोलीबारी, जिसमें 27 लोगों की जान गई, के जवाब में भारतीय सेना ने मजबूत, सटीक और प्रभावी कार्रवाई की. इसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया.

एक सेना के मेजर ने इस कार्रवाई के प्रभाव का वर्णन करते हुए कहा, गोली उन्होंने चलाई थी, जिस पर धमाका हमने किया. उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर कोई प्रतिक्रिया नहीं था. यह एक सुनियोजित और मिशन-केंद्रित हमला था. हमारा इरादा साफ था, हमें दुश्मन के आतंकी ढांचे और घुसपैठ में सहायता देने वाले ठिकानों को नष्ट करना था.

मेजर ने आगे बताया कि भारतीय सेना इसके लिए मानसिक, सामरिक और लॉजिस्टिक रूप से पूरी तरह तैयार थी. उन्होंने कहा, इसके लिए हमारे पास स्वदेशी उन्नत रडार सिस्टम और विभिन्न टारगेट अधिग्रहण प्रणालियां थीं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण थी हमारे सैनिकों की जोशीली भावना.

उन्होंने पुष्टि की कि भारतीय पक्ष से कोई हताहत नहीं हुआ और सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया.

7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के शुरुआती चरण में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था. मेजर ने बताया कि पाकिस्तान की ओर से भारी तोपखाने की गोलीबारी हुई, लेकिन भारतीय पक्ष को कोई नुकसान नहीं हुआ. उन्होंने कहा, हमारा टारगेट उनके आतंकी ढांचे को नष्ट करना था. जब उन्होंने हमारे नागरिक क्षेत्रों और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाना शुरू किया, तो हमारा इरादा स्पष्ट था. अगर वे हमारे गांवों पर गोले दागेंगे, तो हम उनके ठिकाने नष्ट करेंगे.

पाकिस्तानी गोलीबारी के जवाब को याद करते हुए एक अन्य सैनिक ने कहा, जब दुश्मन ने युद्धविराम का उल्लंघन किया और हमारे अग्रिम ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, तो हमारा जवाब बहुत मजबूत, सटीक और प्रभावी था. हमारी तोपों से दागा गया हर गोला सटीक था और टारगेट को निष्प्रभावी कर दिया गया, जिससे दुश्मन को भारी नुकसान हुआ, और उनके शिविरों और सैन्य अड्डों में खलबली मच गई. इस घटना को दुश्मन दशकों तक याद रखेगा.

भारतीय सेना ने यह भी स्पष्ट किया कि सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच युद्धविराम समझौते की कोई समाप्ति तिथि नहीं है, और रविवार शाम को समझौता समाप्त होने की अफवाहों को खारिज कर दिया. 10 मई को हॉटलाइन कॉल के दौरान दोनों पक्षों ने दो दिन की शत्रुता समाप्ति पर सहमति जताई थी, और 12 मई को आगे की चर्चाओं में शांति बनाए रखने की प्रतिबद्धता दोहराई थी.

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