प्रोफेसर महमूदाबाद का पाकिस्तान कनेक्शन उजागर, ऑपरेशन सिंदूर के बाद की थी देश विरोधी पोस्ट
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अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद, भारत की सेना द्वारा पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिए जाने के समय, सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। अब उनका पाकिस्तान से कनेक्शन सामने आया है।

महमूदाबाद की पोस्ट को ध्यान से पढ़ने पर पता चलता है कि उसमें वही सब लिखा हुआ है जो पहलगाम हमले से कुछ दिन पहले पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने भड़काऊ बयान दिया था। उन्होंने अपनी पोस्ट में मॉब लिंचिंग की बात की, लेकिन पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंदुओं के खिलाफ हुई सांप्रदायिक हिंसा का जिक्र नहीं किया।

महमूदाबाद ने पहले अपनी पोस्ट में भारतीय सेना की तारीफ करते हुए लिखा कि अब पाकिस्तान की सेना और आतंकियों के बीच का अंतर मिटाया जा रहा है। सरकार ने साफ कर दिया है कि कोई भी आतंकी घटना अब युद्ध मानी जाएगी और सेना जवाब देगी। अब पाकिस्तानी सेना पर यह जिम्मेदारी आ गई है कि वह आतंकियों के पीछे न छिपे। ऑपरेशन सिंदूर ने भारत-पाकिस्तान संबंधों की सभी पुरानी धारणाओं को ध्वस्त कर दिया है।

इसके बाद महमूदाबाद युद्ध से बचने की बात करते हुए लिखते हैं कि जो लोग आज जंग की बात कर रहे हैं, शायद उन्होंने कभी युद्ध नहीं देखे हैं, किसी युद्ध क्षेत्र में नहीं गए हैं। यह मॉक ड्रिल नहीं है। इसका सबसे अधिक असर गरीबों पर पड़ता है और लाभ केवल राजनेताओं और डिफेंस कंपनियों को होता है।

इसके बाद महमूदाबाद का असली चेहरा सामने आता है। उन्होंने लिखा कि मुझे खुशी है कि इतने सारे दक्षिणपंथी कमेंटेटर कर्नल सोफिया कुरैशी की प्रशंसा कर रहे हैं, लेकिन शायद उन्हें उन लोगों की भी उतनी ही आवाज उठानी चाहिए जो भीड़ द्वारा मारे गए, मनमाने ढंग से गिरफ्तार किए गए। दो महिला सैनिकों से रिपोर्ट पेश करवाने को सराहा गया, लेकिन यदि यह जमीन पर वास्तविकता में तब्दील नहीं होता, तो यह केवल पाखंड है।

महमूदाबाद का पाकिस्तान से गहरा पारिवारिक संबंध है। उनके पिता, राजा महमूदाबाद, जिन्ना के करीबी सहयोगी थे और उन्होंने पाकिस्तान के निर्माण में आर्थिक और वैचारिक रूप से योगदान दिया था। विभाजन के बाद राजा पाकिस्तान चले गए, जिसके कारण उनकी भारतीय संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया। अली खान हालांकि भारत में ही रहे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें संपत्ति देने का फैसला सुनाया, जिसे मोदी सरकार ने 2017 में कानून लाकर पलट दिया। यही वजह है कि उनके विचार और पाकिस्तान समर्थक बयान अक्सर चर्चा में रहते हैं, जिसके कारण उनका वैचारिक झुकाव और पारिवारिक पृष्ठभूमि सवालों के घेरे में आती है।

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