कालूचक नरसंहार: जब आतंकियों ने आर्मी क्वार्टरों पर बोला धावा, मासूम बच्चों और महिलाओं को भी नहीं बख्शा!
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पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते बेहद खराब हो गए थे. दोनों देश युद्ध के कगार पर आकर खड़े हो गए थे. भारत ने साफ़ कर दिया था कि अब किसी भी आतंकी हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

14 मई 2002 को कश्मीर में एक भयानक आतंकी हमला हुआ, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. यह हमला जम्मू-कश्मीर के कालूचक में हुआ था.

साल 2002 में तीन आत्मघाती हमलावरों ने जम्मू-कश्मीर के कालूचक में आर्मी क्वार्टरों पर हमला किया. कालूचक श्रीनगर से 300 किलोमीटर दूर है, जहां सेना के जवान अपने परिवारों के साथ रहते हैं. आतंकियों ने इन्हीं को निशाना बनाया था.

इस हमले में सैन्य बलों और उनके परिवारों के कम से कम 30 लोगों की जान चली गई, जबकि 48 लोग घायल हो गए.

लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों ने सेना की वर्दी पहनकर बॉर्डर पार किया और विजयपुर से एक बस पकड़कर कालूचक पहुंचे. 14 मई 2002 को जैसे ही उनकी बस कालूचक पहुंची, आतंकियों ने हिमाचल टूरिज्म की बस पर हमला कर दिया.

उन्होंने सबसे पहले ड्राइवर और कंडक्टर पर हमला किया, फिर यात्रियों पर फायरिंग शुरू कर दी. इसके बाद आतंकी सैनिक क्वार्टर्स के अंदर घुस गए. उनके पास ऑटोमैटिक गन थीं, जिनसे वे लगातार गोलियां चला रहे थे. साथ ही उन्होंने ग्रेनेड भी फेंके.

सेना ने अभियान चलाकर तीनों आतंकियों को मार गिराया.

भारतीय जांच एजेंसी (NIA) ने मारे गए आतंकियों की पहचान अबु सुहैल (फैसलाबाद), अबु मुरशीद (गुर्जांवाला) और अबु जावेद (गुर्जांवाला) के रूप में की थी, ये सभी पाकिस्तानी नागरिक थे. आतंकियों के पास से बिस्किट और चॉकलेट भी बरामद हुए थे, जो जांच में पाकिस्तान के जफरवाल से खरीदे गए पाए गए.

इन घटनाओं के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ऑपरेशन पराक्रम का ऐलान किया, जिसके चलते करीब 11 महीने तक बॉर्डर पर सैन्य तनातनी बनी रही.

इस दौरान युद्ध जैसे हालात बन गए थे. पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद को गिरफ्तार किया, हालांकि बाद में उसे रिहा कर दिया गया.

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