भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के माहौल में अमेरिकी पत्रकार आसरा नोमानी ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का बहावलपुर शहर लंबे समय से आतंकवाद की नर्सरी रहा है।
डैनियल पर्ल प्रोजेक्ट की सह-संस्थापक आसरा नोमानी ने इस क्षेत्र में पनपे आतंकी नेटवर्कों पर वर्षों से रिपोर्टिंग की है। उन्होंने भारत के ऑपरेशन सिंदूर को बहुत जरूरी कार्रवाई बताया है, क्योंकि यह उस शहर पर हमला था जहां से दशकों से आतंकवाद फैलाया जा रहा था।
नोमानी ने कहा कि इस ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ असगर के मारे जाने की खबर है। अब्दुल रऊफ असगर वही व्यक्ति है जिसने उनके साथी पत्रकार डैनियल पर्ल का अपहरण और हत्या बहावलपुर में की थी।
एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए नोमानी ने लिखा कि जब उन्हें ऑपरेशन सिंदूर के तहत बहावलपुर समेत पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों पर हमले की खबर मिली, तो उन्हें समझ में आ गया कि भारत ने आतंक के असली अड्डों पर वार किया है।
उन्होंने बताया कि उनके दोस्त और वॉल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर डैनियल पर्ल दिसंबर 2001 में बहावलपुर गए थे। उस समय जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने भारत में संसद पर हुए हमले के बाद आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया था। पर्ल ने वहां खुलेआम चल रहे आतंकी दफ्तरों और ट्रेनिंग कैंपों की जानकारी इकट्ठा की थी।
नोमानी ने बताया कि डैनियल पर्ल को बहावलपुर में एक व्यक्ति आरिफ के जरिए इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था, जो हरकत-उल-मुजाहिदीन का पीआर था। पुलिस ने आरिफ को पकड़ने के लिए बहावलपुर में छापेमारी की थी, लेकिन उसके परिवार ने उसका फर्जी जनाज़ा करवाया। बाद में पुलिस ने उसे मुजफ्फराबाद में पकड़ा, जो कश्मीर सरहद के पास है। भारत ने वहां भी आतंकी ठिकानों पर बमबारी की है।
उन्होंने कहा कि आरिफ ने डैनियल को उमर शेख के हवाले कर दिया था, जो लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स का ड्रॉपआउट और कट्टरपंथी बन चुका था। वह पाकिस्तान में आतंक की ट्रेनिंग लेकर भारत में सैलानियों का अपहरण करता था। उसे 1999 में इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट IC-814 की हाईजैकिंग के बाद छोड़ा गया था। उसी के साथ मसूद अजहर भी रिहा हुआ था, जिसके परिवार के कई सदस्य इस हफ्ते बहावलपुर में भारत की कार्रवाई में मारे गए हैं।
नोमानी ने लिखा कि पाकिस्तान की फौज और ISI ने उमर शेख और मसूद अजहर जैसे आतंकियों को शरण दी और भारत के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की यही नीति अब उसके अपने नागरिकों पर भारी पड़ रही है। उन्होंने याद दिलाया कि इन आतंकियों ने पाकिस्तान में भी खूनखराबा किया। बेनज़ीर भुट्टो की हत्या, पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या और 2014 के पेशावर स्कूल हमला इसके उदाहरण हैं।
नोमानी ने कहा कि पाकिस्तान यह कहकर खुद को नहीं बचा सकता कि अमेरिका ने 1980 के दशक में मुजाहिदीन तैयार किए थे। उन्होंने लिखा, पाकिस्तान की जिम्मेदारी थी कि वह अपने देश के अंदर आतंक के ठिकानों को खत्म करता, लेकिन उसने ऐसा कभी नहीं किया, क्योंकि उसकी पूरी नीति कश्मीर पर कब्जे की जिद में फंसी रही।
उन्होंने आगाह किया कि भारत और इजरायल के खिलाफ चलने वाला प्रोपेगैंडा एक जैसा है। वह कहती हैं, जिस तरह हमास ने इजरायल की सीमा पार कर हमला किया, वैसे ही पाकिस्तान समर्थित आतंकी भी भारत में घुसपैठ करते हैं। इसके बाद खुद को पीड़ित बताकर दुनिया को गुमराह करते हैं।
“Bahawalpur.”
— Asra Nomani (@AsraNomani) May 8, 2025
I still have chills in my heart from when I first heard that town’s name in late January 2002. For the 23 years since, I have reported on how Pakistani intelligence and military leaders have used that city — Bahawalpur — in the southern province of Punjab as a base… pic.twitter.com/nFF6geUTp7
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