इस बार घर में घुस कर बैठ जाना : ओवैसी का पाकिस्तान पर करारा हमला
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एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर सरकार पर ज़ोरदार हमला बोला है. उन्होंने पाकिस्तान पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि अगर भाजपा घर में घुसकर मारने की बात करती है, तो अब सेना को पाकिस्तानी चेक पोस्टों में घुसकर वहां जम जाना चाहिए.

ओवैसी ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तानी सेना ने अपनी कुछ अग्रिम चौकियों को खाली कर दिया है. भारतीय सेना को इस स्थिति का फायदा उठाते हुए न केवल जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए, बल्कि उन चेक पोस्टों पर कब्जा भी कर लेना चाहिए.

उन्होंने संसद के उस ऐतिहासिक प्रस्ताव को याद दिलाया जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) को भारत का अभिन्न हिस्सा बताया गया था. ओवैसी ने कहा कि यह भारतीय संसद का संकल्प है कि पीओके भारत का है और विपक्ष की मांग है कि आतंकवाद का स्थायी समाधान निकाला जाए. उन्होंने पाकिस्तान पर सख्त कार्रवाई को वक्त की जरूरत बताया.

ओवैसी ने जाति आधारित जनगणना को लेकर भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए. उन्होंने केंद्र से पूछा कि क्या 2029 के आम चुनावों से पहले इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी या नहीं. उनका कहना था कि अगर सरकार सामाजिक न्याय की सच्ची पक्षधर है, तो जातिगत आंकड़े जल्द सामने आने चाहिए.

ओवैसी ने कहा कि जाति जनगणना से यह पता चलेगा कि कौन सी जातियां आज भी पिछड़ेपन का सामना कर रही हैं और किसे वास्तव में आरक्षण की जरूरत है. उन्होंने कहा कि ओबीसी को सिर्फ 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, जो पर्याप्त नहीं है. सटीक आंकड़े नहीं होने तक न्यायसंगत आरक्षण की नीति नहीं बन सकती.

ओवैसी ने सरकार पर जाति जनगणना को लेकर गंभीर न होने का आरोप लगाया. उन्होंने बताया कि इस साल के बजट में गृह मंत्रालय के अंतर्गत जनगणना आयुक्त कार्यालय को केवल 575 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में जनगणना के लिए 8,254 करोड़ रुपये की आवश्यकता बताई थी.

ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा कि जब 2019 में मोदी सरकार ने जनगणना के लिए बड़ी रकम की जरूरत बताई थी, तो अब इतनी कम राशि क्यों? उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक दिखावटी वादा है, क्योंकि न तो कोई स्पष्ट योजना है और न ही ठोस बजट.

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी की बैठक में हाल ही में यह तय किया गया कि आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़े भी एकत्र किए जाएंगे. हालांकि, ओवैसी और अन्य विपक्षी नेताओं का कहना है कि जब तक ठोस कार्यवाही नहीं होती, तब तक ऐसे निर्णय केवल कागज़ी साबित होंगे.

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