अहमदाबाद में रातोंरात सैकड़ों घरों पर बुलडोजर, कार्रवाई का आधार क्या?
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अहमदाबाद के चंडोला तालाब इलाके में सैकड़ों घरों पर रातों रात बुलडोजर चला। प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई अवैध रूप से बने घरों पर की जा रही है, जबकि प्रभावित लोगों का कहना है कि उनके पास अब कोई ठिकाना नहीं है।

अहमदाबाद के चंडोला तालाब इलाके में कथित बांग्लादेशियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर डिमोलिशन ड्राइव चलाई गई है। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने इस इलाके के सरोजनगर में पैदल गश्त शुरू कर दी है।

अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के संयुक्त पुलिस आयुक्त शरद सिंघल ने बताया कि अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने सियासतनगर बंगाल वास में घरों का सर्वे किया था। इस सर्वे में पाया गया कि उनमें से कुछ घर तालाब में मिट्टी डालकर बनाए गए हैं। एएमसी ही यहां पर डिमोलिशन ड्राइव चला रही है, इसके लिए कुल 50 जेसीबी और 2 हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। यहां ज़्यादातर बांग्लादेशी ही आकर रहते थे।

पुलिस के मुताबिक़ कई लोगों ने तालाब में मिट्टी डालकर अवैध तौर पर अपना मकान बना लिया था और यह सफाई अभियान जारी है।

चंडोला तालाब के आसपास के इलाक़े में मुसलमान रहते हैं। आमतौर पर सरकारी दस्तावेज़ों के मुताबिक़, इस इलाक़े में ज़्यादातर बांग्लादेशी लोग रहते हैं। ऐसे में इलाक़े में अफ़रातफ़ी मच गई। देर रात से ही यहां रहने वाले लोग अपने मकान खाली करने लगे। प्रशासन ने लोगों से कहा कि थोड़ी देर में मकान गिरा दिए जाएँगे। यहाँ से थोड़ी ही दूरी पर बुलडोज़र खड़े हैं। इन लोगों ने देर रात ही अपना घर छोड़ना शुरू कर दिया था।

इस इलाक़े में रहने वाले कुछ लोगों ने तोड़फोड़ की इस कार्रवाई को रोकने के लिए गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की। हालाँकि हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है, इसलिए डिमोलिशन की प्रक्रिया जारी है।

चंडोला तालाब के आस-पास रहने वाले लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाली बीना जाधव ने कहा कि हाई कोर्ट ने भले ही हमारी अर्जी खारिज कर दी हो, लेकिन गुजरात हाई कोर्ट ने सरकार से कहा है कि इनमें से जो लोग भारतीय नागरिक हैं और अगर वो सरकार से गुज़ारिश करते हैं तो उन्हें मकान देने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।

वकील आनंद याग्निक ने कहा, चंडोला तालाब के आसपास रहने वाले लोगों में कुछ बांग्लादेशी भी हो सकते हैं, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। अगर कोई बांग्लादेशी है, तो मैं मानता हूं कि उसे सम्मान सहित कानूनी तरीके से वापस बांग्लादेश भेजा जाना चाहिए। लेकिन जिस तरह से गुजरात सरकार ने पिछले चार दिनों में 1200-1500 लोगों को उठा लिया है, उसके बाद 90 फ़ीसदी को छोड़ दिया है, वो सही नहीं है। क्योंकि वो भारत के मुस्लिम नागरिक हैं। अब उनके घरों को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। रिहा किए गए लोगों के घरों को भी तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. ये बोलकर कार्रवाई हो रही है कि ये घर अवैध हैं।

आनंद याग्निक कहते हैं कि इस मामले के तीन पहलू हैं। पहला, अगर यह साबित हो जाता है कि वे बांग्लादेशी हैं, तो क्या उसका घर तोड़ा जाना चाहिए या नहीं? दूसरा, जो लोग डर की वजह से बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश भाग गए हैं और उनके घर बंद हैं, क्या उन्हें तोड़ा जाना चाहिए या नहीं? और तीसरा, 40 साल से गुजरात के चंडोला तालाब के पास रह रहे सियासतनगर के 26 निवासियों ने गुजरात उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, भले ही हम तालाब के किनारे अवैध रूप से रह रहे हों, हमें नोटिस दिया जाना चाहिए और उचित समय के बाद हमारे घरों को तोड़ दिया जाना चाहिए। हमें कोई नोटिस नहीं दिया गया। हालाँकि, इस याचिका को गुजरात उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है।

कई लोगों का कहना है कि वो दशकों से इस इलाक़े में रह रहे हैं। स्थानीय लोगों में काफ़ी गुस्सा था। उन्होंने बताया कि उनका जन्म यहीं हुआ है और उन्हें वर्षों से सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। एक शख्स ने कहा, हम यहां सब्ज़ियां बेचते हैं। हम 30-35 साल से यहां रह रहे हैं। अब हम अपना सामान किसी रिश्तेदार के घर छोड़कर जा रहे हैं। एक महिला ने बताया, हम 40-45 साल से यहां रह रहे हैं। कोई हमारी मदद नहीं कर रहा है। हमें यह भी नहीं पता कि हम कहां जाएंगे।

अहमदाबाद में वर्तमान में बांग्लादेशी बताकर हिरासत में लिए गए कई लोग चंडोला तालाब के पास रहते थे। जब भी अहमदाबाद में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों, विशेषकर बांग्लादेशी नागरिकों के मुद्दे पर चर्चा होती है, तो दानिलिमडा, शाह आलम, मणिनगर और इसनपुर के बीच स्थित चंडोला तालाब के आसपास की बस्तियों का नाम अवश्य ही चर्चा में आता है। पुलिस पहले भी वहां तलाशी अभियान चला चुकी है।

पिछले वर्ष 24 अक्टूबर को गुजरात पुलिस ने एक अभियान में लगभग 48 लोगों को हिरासत में लिया और उन्हें बांग्लादेश भेजने की प्रक्रिया शुरू की। पुलिस ने उस समय दावा किया था कि ये सभी लोग फर्जी आधार कार्ड, राशन कार्ड आदि के आधार पर अहमदाबाद के चंडोला तालाब क्षेत्र में अवैध घरों में रह रहे थे।

चंडोला तालाब क्षेत्र के लोगों के साथ काम करने वाली और गुजरात की पर्सनालिटी स्ट्रगल कमेटी की संस्थापक बीनाबेन जाधव ने कहा था, पुलिस को जांच करनी चाहिए, बांग्लादेशी नागरिकों को ढूंढना चाहिए और उन्हें निर्वासित करना चाहिए, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन बांग्लादेशी होने के आरोप में उनके नाम पर किसी को भी गिरफ्तार करना सही नहीं है। चंडोला तालाब क्षेत्र में कई लोग रहते हैं जो वर्षों से बंगाल के विभिन्न गांवों से यहां आते रहे हैं। चंडोला तालाब इलाक़े में रहने वाली एक महिला का कहना है कि अब उसके पास कोई ठिकाना नहीं है

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