कनाडा में हाल ही में हुए आम चुनावों में मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी ने जीत हासिल की है. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि पार्टी को बहुमत के लिए ज़रूरी 172 सीटें मिलेंगी या नहीं.
जीत के बाद मार्क कार्नी ने अपने समर्थकों से कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप उन्हें तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं ताकि अमेरिका उन पर अपना अधिकार जमा सके, लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा. लिबरल पार्टी महज तीन महीने पहले चुनावों में काफ़ी पीछे चल रही थी, लेकिन अमेरिका से बढ़ती तनातनी के बीच कार्नी ने पार्टी की बागडोर संभाली.
इस साल की शुरुआत में जस्टिन ट्रूडो के पद छोड़ने के बाद मार्क कार्नी लिबरल पार्टी के नेता चुने गए थे और प्रधानमंत्री बने थे. जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में भारत और कनाडा के रिश्तों में काफ़ी तनाव देखने को मिला था.
बीबीसी संवाददाता एंथनी ज़र्कर के अनुसार, लिबरल पार्टी की जीत में डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का भी हाथ रहा है. ट्रंप ने बार-बार कनाडा को उकसाया और उसे अमेरिका का 51वां राज्य बनने को कहा, जिससे कनाडा के मतदाता एकजुट हो गए.
कार्नी ने जबसे कनाडा की कमान संभाली है, उन्होंने भारत के साथ रिश्तों में बदलाव के संकेत दिए हैं. उन्होंने भारत और कनाडा के रिश्ते को बहुत अहम बताया था और कहा था कि अगर वह दोबारा प्रधानमंत्री बनते हैं तो दोनों देशों के रिश्तों में सुधार लाने की कोशिश करेंगे.
चुनाव प्रचार अभियान समाप्त होने से पहले एक चुनावी रैली के दौरान कार्नी ने कहा था कि भारत और कनाडा का रिश्ता कई स्तरों पर बहुत महत्वपूर्ण है. व्यक्तिगत संबंधों, आर्थिक और रणनीतिक मोर्चे पर भी. उन्होंने यह भी कहा कि ट्रेड वॉर से मौके पैदा हुए हैं और अगर वे प्रधानमंत्री बनते हैं तो इन मौकों पर काम करेंगे.
मार्च में लिबरल पार्टी के नेता बनने की दौड़ में शामिल होते वक़्त कार्नी ने भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को सुधारने की बात कही थी. उन्होंने समान विचारधारा वाले देशों के साथ कनाडा के व्यापार संबंधों में विविधता लाने की भी बात कही थी.
कार्नी कनाडा में रहने वाले भारतीय समुदाय से संवाद बनाने में यक़ीन रखते हैं. हाल ही में उन्होंने टोरंटो के एक हिंदू मंदिर और ओटावा सिख सोसायटी के गुरुद्वारे का दौरा किया था.
जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में भारत और कनाडा के बीच संबंधों में काफ़ी तनाव आ गया था. रिश्तों में इस कड़वाहट का कारण कनाडा में ख़ालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या थी. इस मामले में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के विश्वसनीय सुबूत हैं. भारत ने इस आरोप से इनकार किया था.
ट्रूडो की तुलना में अब तक कार्नी के भारत के बारे में विचार काफ़ी सकारात्मक रहे हैं. लेकिन निज्जर जैसे मामलों पर मार्क कार्नी के रवैये के बारे में अधिक जानकारी नहीं है. इतना तो साफ़ है कि मार्क कार्नी भारत के साथ संबंधों को दोबारा पटरी पर लाने के हिमायती हैं.
मार्क कार्नी बैंक ऑफ इंग्लैंड के पूर्व गवर्नर रह चुके हैं और इस केंद्रीय बैंक के 300 से अधिक वर्षों के इतिहास में शीर्ष बैंकिंग भूमिका निभाने वाले वह पहले गैर-ब्रिटिश शख़्स थे. उन्होंने इससे पहले 2008 के वित्तीय संकट के दौरान बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर के रूप में अपने देश का नेतृत्व किया था.
BREAKING: If I become PM, will rebuild ties with India , says Canada s likely new Prime Minister Mark Carney pic.twitter.com/zwWwHhHFRB
— Shashank Mattoo (@MattooShashank) March 6, 2025
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