जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के पास बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत से सनसनी फैल गई है। यह हमला 22 अप्रैल को हुआ था।
इस हमले ने जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से सक्रिय आतंकी मॉड्यूल को उजागर किया है। 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद यह सबसे घातक हमलों में से एक है। भारत सरकार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
जांच में पता चला है कि यह हमला प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े एक कट्टर समूह ने किया था। इस समूह में ज़्यादातर विदेशी आतंकवादी शामिल हैं।
खुलासा हुआ है कि इस समूह को 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड और लश्कर प्रमुख हाफिज सईद का समर्थन हासिल है।
यह मॉड्यूल लंबे समय से कश्मीर घाटी में सक्रिय है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह सोनमर्ग, बूटा पथरी और गंदेरबल सहित कई हमलों के पीछे रहा है।
अक्टूबर 2024 में बूटा पथरी में हुए आतंकी हमले में भारतीय सेना के दो जवानों समेत चार लोग मारे गए थे। उसी महीने, सोनमर्ग में सुरंग निर्माण श्रमिकों पर जानलेवा हमला हुआ, जिसमें छह मजदूरों और एक डॉक्टर की हत्या कर दी गई थी।
पहलगाम हत्याकांड के मुख्य आरोपियों में से एक हाशिम मूसा को इन हमलों का संदिग्ध माना जा रहा है।
सोनमर्ग हत्याकांड के बाद जुनैद अहमद भट्ट, जो कुलगाम का एक ए+ श्रेणी का लश्कर आतंकवादी था, दिसंबर 2024 में दाचीगाम में एक मुठभेड़ में मारा गया था।
मॉड्यूल को सीधे लश्कर प्रमुख हाफिज सईद और उसके डिप्टी सैफुल्लाह द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो पाकिस्तान से काम कर रहे हैं।
भारतीय खुफिया एजेंसियों का कहना है कि इस मॉड्यूल को पाकिस्तान की सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई से मदद मिलती है।
पहलगाम हमले में, आतंकवादियों ने बैसरन घाटी के भीतर तीन अलग-अलग स्थानों पर हमला किया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, एक स्थान पर एक साथ पाँच लोगों की हत्या कर दी गई।
जम्मू और कश्मीर पुलिस ने पहलगाम हमले से जुड़े तीन संदिग्धों के स्केच जारी किए हैं। इनमें से दो पाकिस्तानी नागरिक हैं: हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली भाई उर्फ तल्हा। तीसरा, अब्दुल हुसैन थोकर, कश्मीर के अनंतनाग का निवासी है। पुलिस ने उन्हें पकड़ने में मदद करने वाली सूचना देने वाले को 20 लाख रुपये का नकद इनाम देने की घोषणा की है।
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई थी। समिति ने जवाबी कार्रवाई की घोषणा की।
भारत और पाकिस्तान दोनों ही 1 मई से अपने राजनयिक मिशनों के कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 कर देंगे। अटारी-वाघा भूमि सीमा को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया है।
भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है।
दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित राजनयिक क्वार्टर में पाकिस्तान उच्चायोग के बाहर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। जम्मू-कश्मीर और कई अन्य भारतीय राज्यों में हमले की निंदा करते हुए प्रदर्शन हुए।
*Lashkar Chief Hafiz Saeed Was Handler For Pahalgam Attack Terrorists: Sources https://t.co/89VxMxlUUh pic.twitter.com/z0ACvPiSGW
— NDTV (@ndtv) April 25, 2025
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