भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है. यह बयान राहुल गांधी ने पूर्व सांसद संदीप दीक्षित के साथ एक पॉडकास्ट में दिया था.
सिरोया ने कहा कि राहुल गांधी का यह कहना कि महात्मा गांधी को इंग्लैंड में ट्रेन से उतार दिया गया था निराशाजनक है. उन्होंने कहा कि किसी को भी राहुल गांधी से इतिहास नहीं सीखना चाहिए.
सिरोया ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने बताया कि उन्होंने उत्सुकता से इंटरव्यू देखा क्योंकि राहुल गांधी अपने परदादा पंडित नेहरू के बारे में बात कर रहे थे. लेकिन जब उन्होंने राहुल को यह कहते हुए सुना कि महात्मा गांधी को इंग्लैंड में ट्रेन से बाहर निकाल दिया गया था, तो उन्हें बहुत निराशा हुई.
सिरोया ने कहा कि उन्होंने वीडियो इसलिए रिकॉर्ड किया ताकि बाद में इसे बदला न जा सके. उन्होंने YouTube पर ऑटो कैप्शन का भी उदाहरण दिया, जिससे स्पष्ट होता है कि राहुल गांधी ने वास्तव में क्या कहा था. उन्होंने जोर देकर कहा कि उनसे किसी को भी इतिहास नहीं सीखना चाहिए.
सिरोया ने यह भी कहा कि एक साधारण शिक्षित व्यक्ति भी जानता है कि गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन से उतारा गया था. उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि नेहरू सेंटर के लोग और कांग्रेस के बुद्धिजीवी, जिनमें संदीप दीक्षित भी शामिल हैं, वीडियो जारी करने से पहले इस गलती को क्यों नहीं देख पाए.
एक अन्य पोस्ट में, भाजपा सांसद ने राहुल गांधी के इस दावे पर भी सवाल उठाया कि उनके परदादा और उनके चचेरे भाई गांधी जी के अपमान का बदला लेने के लिए कुछ अंग्रेजों को प्रथम श्रेणी के डिब्बे से बाहर निकालने के लिए इलाहाबाद रेलवे स्टेशन जाने की योजना बना रहे थे. सिरोया ने बताया कि जून 1893 में जब गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन से बाहर निकाला गया था, तब पंडित नेहरू सिर्फ 4 साल के थे. उन्होंने पूछा कि क्या 4 साल का बच्चा विरोध करने के लिए इलाहाबाद रेलवे स्टेशन गया था?
गौरतलब है कि संदीप दीक्षित के साथ 32 मिनट के पॉडकास्ट में राहुल गांधी ने कई मुद्दों पर बात की थी. उन्होंने कहा था कि सच्चाई के लिए खड़े होना गांधी-नेहरू की परंपरा रही है और वे खुद को नेता के रूप में नहीं देखते, बल्कि सत्य के साधक मानते हैं. उन्होंने नेहरू की राजनीति, आदर्शों, विचारों और योगदान के बारे में भी बात की थी.
राहुल गांधी ने अपने परिवार के राजनीतिक दर्शन का उल्लेख करते हुए कहा था कि राजनीति वास्तव में सत्य के लिए होती है. उन्होंने कहा था कि नेहरू जी ने उन्हें डर का सामना करना और सच्चाई के लिए खड़ा होना सिखाया. उन्होंने भारतीय नागरिकों को उत्पीड़न का विरोध करने और स्वतंत्रता की घोषणा करने का साहस दिया.
राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने कभी खुद को नेता के रूप में नहीं देखा और उनके परिवार का हमेशा से यही मानना रहा है कि राजनीति सच्चाई के लिए होनी चाहिए. उन्होंने स्वयं को नेता के रूप में नहीं बल्कि सत्य का साधक बताया था.
पॉडकास्ट में राहुल गांधी ने कहा था कि भारत को उन स्थितियों का सामना करने की हिम्मत करनी पड़ेगी जो आज उसके सामने हैं. उन्होंने बेरोजगारी, आर्थिक विफलता और देश में सद्भाव की कमी का उल्लेख करते हुए कहा था कि यह सच्चाई है जिसे स्वीकार करना होगा. उन्होंने यह भी कहा था कि गांधी, नेहरू, आंबेडकर, पटेल और बोस ने डर से दोस्ती करना सिखाया. उन्होंने महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा था कि वे एक साम्राज्य के सामने खड़े हुए और उनके पास सच्चाई के अलावा कुछ नहीं था.
राहुल गांधी ने कहा था कि चाहे वे बिल गेट्स से बात करें या किसी साधारण व्यक्ति से, वे उनसे समान जिज्ञासा के साथ मिलते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि आज के भारत में, जहां सत्य असुविधाजनक है, उन्होंने सत्य को अपनी पसंद बना लिया है और वे इसके लिए खड़े रहेंगे, चाहे इसकी कोई भी कीमत हो.
*I watched this interview with curiosity because @RahulGandhi was speaking about his great grandfather Pandit #Nehru. However, I was very disappointed when I heard him say (at 2 mins 40 secs) that Mahatma Gandhi Ji was thrown out of the train in England. I recorded the video on my… pic.twitter.com/XDrEGJ1Xqw
— Lahar Singh Siroya (@LaharSingh_MP) April 19, 2025
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