हार्वर्ड विश्वविद्यालय को 11 अप्रैल को भेजा गया ट्रंप प्रशासन का एक पत्र विवादों में घिर गया है। यह पत्र, जिसमें यहूदी विरोधी गतिविधियों के आरोपों को लेकर व्हाइट हाउस टास्क फोर्स ने कई मांगें रखी थीं, अब एक रिपोर्ट के अनुसार अनधिकृत बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि इसे जारी नहीं किया जाना चाहिए था।
द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में, इस मामले से परिचित सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि यह पत्र अनाधिकृत था। इस पत्र में हार्वर्ड विश्वविद्यालय की नियुक्तियों, प्रवेश प्रक्रिया और शैक्षणिक पाठ्यक्रम को लेकर विस्तृत जानकारी मांगी गई थी।
स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के कार्यवाहक जनरल काउंसल, सीन केवेनी, जो यहूदी विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए बनाई गई टास्क फोर्स के सदस्य हैं, ने ईमेल के माध्यम से इस पत्र को जारी किया था। हालांकि, पत्र में लिखी गई बातों के प्रमाणिक होने की पुष्टि की गई थी।
सूत्रों ने NYT को बताया कि ट्रंप प्रशासन के भीतर इस बात को लेकर भ्रम था कि यह पत्र कैसे और क्यों भेजा गया। कुछ अधिकारियों का मानना था कि इसे समय से पहले प्रसारित कर दिया गया, जबकि अन्य का मानना था कि यह केवल टास्क फोर्स के सदस्यों के बीच आंतरिक चर्चा के लिए था।
सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया क्योंकि उन्हें इस मामले पर सार्वजनिक रूप से बोलने की अनुमति नहीं है। इस पत्र के चलते हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और व्हाइट हाउस टास्क फोर्स के बीच चल रही बातचीत भी प्रभावित हुई है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अनुसार, वे दो सप्ताह से टास्क फोर्स के साथ संपर्क में थे और उन्हें उम्मीद थी कि वे सार्वजनिक विवाद से बचेंगे। हालांकि, पत्र के सामने आने के बाद हार्वर्ड पर सख्ती बरतने की बात सार्वजनिक हो गई।
यह ध्यान देने योग्य है कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने सोमवार को घोषणा की कि वह ट्रंप प्रशासन की कई मांगों को खारिज करेगा। हाल ही में, ट्रंप प्रशासन ने विश्वविद्यालय की 9 बिलियन डॉलर (लगभग 7684 करोड़ रुपये) की ग्रांट रोकने का ऐलान किया था। शुक्रवार को भेजे गए पत्र में, ट्रंप प्रशासन ने विश्वविद्यालय से योग्यता के आधार पर भर्ती करने, प्रवेश देने, संकाय और नेतृत्व में ऑडिट समेत व्यापक बदलावों का आह्वान किया था। पत्र में फेस मास्क पर प्रतिबंध लगाने का भी आह्वान किया गया था, जिसे फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों की पहचान के लिए एक कदम के रूप में देखा जा रहा था। इससे पहले, प्रशासन पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय, ब्राउन विश्वविद्यालय और प्रिंसटन विश्वविद्यालय की ग्रांट भी रोक चुका है।
What an absolute joke: Trump officials claimed the letter sent to Harvard with a list of demands was a mistake and had been sent without authorization.
— MeidasTouch (@MeidasTouch) April 19, 2025
And because Harvard defended themselves, the White House announced they were freezing funding and Trump threatened to remove… pic.twitter.com/o5Yso2EGJt
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