पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हुई हिंसा में तीन लोगों की जान चली गई है और दर्जनों घायल हैं, जिनमें 18 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. पुलिस ने इस मामले में 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है.
हिंसा की शुरुआत सुत्ती, धूलियन, जंगीपुर और शमशेरगंज के मुस्लिम बहुल इलाकों में वक्फ अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शनों से हुई. जल्द ही, प्रदर्शन सांप्रदायिक झड़पों में बदल गए, जिसके दौरान दुकानों और घरों को आग के हवाले कर दिया गया.
हिंसा प्रभावित लोगों की आपबीती बेहद दर्दनाक है. एक स्थानीय निवासी ने बताया, सब जला दिया, कुछ नहीं बचा... कई परिवारों ने अपने घर छोड़ने का फैसला किया है, जिससे पूरे क्षेत्र में डर और असुरक्षा का माहौल है.
धुलियान की रहने वाली खुशबू दास ने कहा, हमारी दुकानें और घर जला दिए गए. सब कुछ तहस-नहस कर दिया गया. हमने पुलिस और फायर ब्रिगेड को फोन किया, लेकिन किसी ने नहीं उठाया. हम यहां बीएसएफ का स्थायी कैंप चाहते हैं.
धुलियान की ही रहने वाली प्राजक्ता दास ने कहा, हम शांति और सुरक्षा चाहते हैं और हम यह जानना चाहते हैं कि यह स्थिति क्यों पैदा हुई. हम यहां केंद्रीय बलों का स्थायी शिविर चाहते हैं ताकि ऐसा दोबारा न हो.
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने मुर्शिदाबाद, मालदा और बीरभूम जिलों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं. केंद्र सरकार ने लगभग 300 बीएसएफ जवानों को तैनात किया है और अतिरिक्त पांच कंपनियों को भेजा गया है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया है.
भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने कहा, आज मुर्शिदाबाद के लोग और बच्चे कह रहे हैं कि बीएसएफ उनके लिए भगवान की तरह है, क्योंकि बीएसएफ ने ही उन्हें बचाया है. राज्य पुलिस की मौजूदगी के बावजूद घरों में आग लगा दी गई, लोगों पर हमला किया गया, महिलाओं की गरिमा का हनन किया गया और मंदिरों में तोड़फोड़ की गई, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया...
पश्चिम बंगाल भाजपा इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने हिंदुओं की मदद के लिए मालदा में भाजपा के कार्यालय में एक नियंत्रण कक्ष का उद्घाटन किया. उन्होंने ममता बनर्जी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुर्शिदाबाद प्रशासन पूरी तरह से विफल रहा है.
मजूमदार ने कहा, हिंदुओं को बचाने में मुर्शिदाबाद प्रशासन पूरी तरह से विफल रहा है. ममता बनर्जी की पुलिस दंगा वाले क्षेत्र में जाने से डर रही थी, लेकिन बीएसएफ के आने के बाद वह हिंसा वाले क्षेत्र में पहुंच पाई. ममता बनर्जी की जिम्मेदारी है कि वह लोगों की सुरक्षा करें. उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन मालदा के परलालपुर हाई स्कूल से जबरन कैंप हटाने की कोशिश कर रहा है.
बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के डीआईजी नीलोत्पल कुमार पांडे ने बताया कि जब बीएसएफ के जवान घोषपारा, जाफराबाद समेत अन्य इलाकों में गए तो उन्हें हिंसा में शामिल दंगाइयों का सामना करना पड़ा. कुछ जगहों पर जवानों पर लाठियां, पत्थर और जलती हुई बोतलें फेंकी गईं, इसलिए उन्हें दंगाइयों को खदेड़ने और खुद को सुरक्षित रखने के लिए बल का प्रयोग करना पड़ा.
*#WATCH | Murshidabad, West Bengal: Khusbhu Das, a resident of Dhuliyan, says, Both our shops and house were burnt. Everything was vandalized. We called the police and fire brigade to douse the fire, but no one picked up our calls. We want a permanent camp (of the BSF) here so… https://t.co/BUatLHRFta pic.twitter.com/xySeh0waWL
— ANI (@ANI) April 14, 2025
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