बिहार चुनाव से पहले RLJP का NDA से नाता टूटा, पशुपति पारस का बड़ा ऐलान!
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राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि आज से उनकी पार्टी का एनडीए गठबंधन से कोई नाता नहीं रहेगा।

पटना के बापू सभागार में आंबेडकर जयंती समारोह के दौरान पारस ने खुले मंच से यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी एक नया बिहार बनाएगी और राज्य की सभी 243 सीटों पर अपनी पार्टी को मजबूत करेगी। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने अब तक 22 जिलों का दौरा किया है और ज्यादातर जिलों में लोग सरकार बदलने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव में उस गठबंधन के साथ जाएगी जहां उन्हें सम्मान मिलेगा।

पारस ने एनडीए छोड़ने के फैसले पर मीडिया से कहा कि उनकी पार्टी 2014 से एनडीए के साथ थी और एक वफादार सहयोगी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए के लोगों ने उनकी पार्टी के साथ अन्याय किया क्योंकि यह एक दलित पार्टी है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में एनडीए की बैठकों में भाजपा और जेडीयू के प्रदेश अध्यक्षों ने उन्हें 5 पांडव बताया, जिसमें उनकी पार्टी का नाम शामिल नहीं था।

पारस ने कहा कि उनकी पार्टी अब लोगों के बीच जाकर सदस्यता अभियान शुरू कर रही है और सभी 243 सीटों के लिए तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर महागठबंधन उन्हें सही समय पर उचित सम्मान देता है तो वे भविष्य में राजनीति के बारे में जरूर सोचेंगे।

उन्होंने भारत सरकार से रामविलास पासवान को भारत रत्न देने की भी मांग की।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले पशुपति पारस एनडीए से अलग हो गए थे और उन्होंने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। लोकसभा चुनाव में एनडीए के सीट बंटवारे में पशुपति पारस की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी, जबकि चिराग पासवान की एलजेपी (आर) को 5 सीटें मिली थीं।

यह ध्यान देने योग्य है कि लोक जन शक्ति पार्टी (लोजपा) दो गुटों में बंट चुकी है: लोजपा (रामविलास), जिसके अध्यक्ष चिराग पासवान हैं, और रालोजपा, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति पारस हैं। दोनों गुट यह दिखाने का प्रयास कर रहे हैं कि पासवान समाज का सच्चा हितैषी कौन है। इस कार्यक्रम में पहुंचे कुछ लोगों ने चिराग पासवान की तारीफ की, वहीं कुछ ने उनकी आलोचना भी की और कहा कि पशुपति पारस ही उनके असली नेता हैं।

यह देखना दिलचस्प होगा कि पासवान समुदाय अपना नेता किसे मानता है। इसका नतीजा बिहार विधानसभा चुनाव के बाद ही सामने आएगा।

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