सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में निर्धारित किया है कि राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा विचार के लिए आरक्षित विधेयकों पर संदर्भ प्राप्त होने की तारीख से 3 महीने के भीतर फैसला लेना होगा।
यह फैसला तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के मामले में सुनाया गया है, जिसे शुक्रवार को ऑनलाइन अपलोड किया गया।
शीर्ष न्यायालय ने तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के विचार के लिए रोके और आरक्षित किए गए 10 विधेयकों को मंजूरी देने और विधानसभाओं द्वारा पारित बिलों पर कार्रवाई के लिए राज्यपालों के लिए समय अवधि निर्धारित की थी।
फैसले के 4 दिन बाद 415 पन्नों का निर्णय शुक्रवार को रात 10.54 बजे सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के बीच विधायी प्रक्रियाओं को सुचारू बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अब राष्ट्रपति के लिए यह अनिवार्य है कि वह राज्यपाल द्वारा भेजे गए विधेयकों पर 3 महीने के भीतर अपना निर्णय दें। यह समय सीमा राज्यों के विधायी कार्यों में पारदर्शिता और दक्षता लाने में मददगार होगी।
खबर अपडेट हो रही है।
#SupremeCourt has ruled that the President must decide on State Bills—reserved by Governors for Presidential assent—within three months. pic.twitter.com/NfcKVSEJDZ
— All India Radio News (@airnewsalerts) April 12, 2025
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