मस्जिद के सामने महिलाओं की मानव श्रृंखला: कटिहार में सांप्रदायिक सौहार्द या एहतियाती कदम?
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बिहार के कटिहार जिले से रामनवमी के अवसर पर एक तस्वीर और वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें महिलाएं और स्थानीय नागरिक जामा मस्जिद के सामने मानव श्रृंखला बनाते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस दृश्य को सद्भावना और धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक बताया जा रहा है।

यह दृश्य 10 अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर सामने आया, जब विश्व हिंदू परिषद (VHP), बजरंग दल और अन्य संगठनों द्वारा सात किलोमीटर लंबा जुलूस निकाला गया। यह जुलूस दोपहर डेढ़ बजे शुरू होकर शाम सात बजे तक चला, जिसमें बड़ी संख्या में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने भाग लिया। जुलूस में पारंपरिक शस्त्र जैसे लाठी, तलवारें आदि के साथ शोभायात्रा निकाली गई। आयोजकों के अनुसार ये राम के प्रतीक हथियार हैं। यह जुलूस जामा मस्जिद सहित दो प्रमुख मस्जिदों के सामने से गुज़रा, जिनमें से एक बाटा चौक पर स्थित है।

इस वायरल वीडियो और तस्वीर में, महिलाएं मस्जिद के सामने खड़ी होकर मानव श्रृंखला बनाती नजर आ रही हैं। कई लोगों ने इसे सांप्रदायिक सौहार्द और शांति का प्रतीक बताया है। प्रसिद्ध लेखकों और कलाकारों ने भी इसे शेयर करते हुए इसकी प्रशंसा की है। मशहूर लेखिका असगर वजाहत, अभिनेत्री स्वरा भास्कर, उर्मिला मातोंडकर और श्रुति सेठ ने इसे उम्मीद की किरण बताया। सोशल मीडिया पर इक़बाल शेख और सादिक शेख जैसे यूज़र्स ने महिलाओं के साहस को सलाम किया और सांप्रदायिक एकता की प्रशंसा की।

हालांकि, आयोजन समिति ने स्पष्ट किया है कि यह मानव श्रृंखला मस्जिद की सुरक्षा के लिए नहीं बनाई गई थी। वीएचपी के जिला मंत्री रितेश दुबे ने कहा, हमने जुलूस के सुचारू संचालन और किसी भी असामाजिक तत्व के प्रवेश को रोकने के लिए यह व्यवस्था की थी। मस्जिद की सुरक्षा का इससे कोई संबंध नहीं है। बजरंग दल के संयोजक पवन पोद्दार ने कहा, जुलूस से मस्जिद को कोई खतरा नहीं है। पहले भी कुछ मौकों पर उकसावे की घटनाएं हुई थीं। हमारी कोशिश है कि कोई उपद्रव न हो, इसलिए हमने अपने स्तर पर संयम बरतने की तैयारी की।

कटिहार के एसडीएम शंकर शरण ओमी ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि आयोजकों ने नमाज के समय मस्जिद की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह पहल की। उन्होंने कहा, रामनवमी के दौरान गुलाल और अबीर उड़ाने की परंपरा होती है, ऐसे में मस्जिद के आस-पास शांति बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया।

यह पहला मौका नहीं है जब कटिहार में ऐसा नजारा देखने को मिला हो। वर्ष 2022 में भी रामनवमी के अवसर पर जुलूस के दौरान मानव श्रृंखला बनाकर शांति का संदेश दिया गया था। उस समय भी जामा मस्जिद के सामने ऐसी ही व्यवस्था की गई थी।

इस वायरल होती तस्वीर को लेकर सोशल मीडिया पर कई धारणाएं और गलतफहमियां भी सामने आई हैं। सैयद तारिक अनवर ने भी तस्वीर को साझा करते हुए लिखा कि चिलचिलाती धूप में ये हिंदू महिलाएं मस्जिद की रक्षा के लिए खड़ी हैं। लेकिन जब उनसे पुष्टि करने को कहा गया, तो उनके पास कोई स्थानीय स्रोत या तथ्यात्मक जानकारी नहीं थी।

कटिहार में रामनवमी पर वायरल हो रही मानव श्रृंखला की तस्वीर को लेकर भले ही अलग-अलग दावे किए जा रहे हों, लेकिन इसमें एक बात स्पष्ट है कि स्थानीय नागरिकों और आयोजकों ने मिलकर किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक तनाव की स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए एहतियातन कदम उठाए। यह तस्वीर न केवल धार्मिक सहिष्णुता की मिसाल है बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को भी दर्शाती है।

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