बलोच कूट रहे, तालिबानी घर में घुसकर मार रहे: पाकिस्तान अपनी ही आग में जल रहा
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बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वाह और सिंध में पाकिस्तानी सेना की विफलता दर्शाती है कि वह सीधी लड़ाई लड़ने में सक्षम नहीं है।

हाल ही में बलोच विद्रोहियों ने क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक कर लिया, जिसमें 400 से अधिक यात्री थे, जिनमें पाकिस्तानी सैनिक भी शामिल थे।

पाकिस्तानी सेना ने एक ऑपरेशन शुरू किया और दावा किया कि 24 घंटे में 33 विद्रोही मारे गए, लेकिन बलूच विद्रोहियों ने इसे नकारते हुए कहा कि उन्होंने 100 से अधिक सैनिकों को मारा और उन्हें कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।

11 मार्च को बोलान दर्रे में ट्रेन हाईजैक की घटना ने पाकिस्तानी सेना की अक्षमता को उजागर कर दिया। हर कदम पर वह बेखबर और बिना किसी योजना के दिखी।

बलूच विद्रोहियों ने बिना किसी प्रतिरोध के ट्रेन को अगवा कर लिया, एक सुरंग के पास धमाका किया, और 400 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया। पाकिस्तानी सेना को इसकी भनक तक नहीं लगी।

यहां तक कि ट्रेन में सवार सैनिक भी गोली नहीं चला पाए। पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन शुरू किया, जिसमें विशेष कमांडो शामिल थे, लेकिन उन्हें ट्रेन तक पहुंचने में भी कठिनाई हुई।

कम हथियार रखने वाले बलोच विद्रोहियों ने ट्रेन के पास आने वाले सैनिकों को मार गिराया। सेना ने विफलता को छुपाने के लिए मीडिया पर खबर चलाने पर रोक लगा दी, लेकिन झूठ नहीं छुपा।

बलूच विद्रोहियों ने बताया कि पाकिस्तानी सेना को पीछे हटना पड़ा। ऑपरेशन सेना ने अपनी जमीन पर शुरू किया था। कोई बातचीत या विदेशी मदद भी नहीं मिल रही थी फिर भी सेना विफल रही और 100 से अधिक जवान मारे गए।

कई गैर-बलोची भी मारे गए। बलोच विद्रोहियों ने स्पष्ट किया कि ट्रेन और बंधक उनके कब्जे में हैं।

वजीरिस्तान, कुर्रम, तोरखम: हर जगह विफल

घटना के बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने पाकिस्तानी सेना को 200 कफ़न जुटाते देखा। खैबर पख्तूनख्वाह के कुर्रम इलाके में शिया और सुन्नियों के बीच लड़ाई में 100 से अधिक लोग मारे गए और रास्ता बंद हो गया, जिसे सेना अभी तक नहीं खुलवा पाई है।

उत्तरी वजीरिस्तान, बाजौर और कई इलाके दो दशकों से अशांत हैं। खैबर के बड़े हिस्से पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का कब्जा है, जहां पाकिस्तानी सरकार का हुक्म नहीं चलता।

यहां से निकले आतंकी कराची से पेशावर तक हमले करते हैं, जिनका जवाब देने में पाकिस्तानी सेना विफल है। बड़े नेता अख्तर मेंगल ने कहा है कि बलूचिस्तान अब पाकिस्तान के हाथ से निकल चुका है।

बलूचिस्तान में कई बार चीनी नागरिकों पर हमले हो चुके हैं, जिसके चलते चीन ने अपनी सेना भेजने का विचार किया था। तोरखम जैसे सीमाई इलाकों में अफगान तालिबान पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराता है और सेना रोक नहीं पाती।

छद्म युद्ध ही लड़ सकती है पाकिस्तानी सेना। 1948, 1965 और 1971 में भारत से सीधे युद्ध में पाकिस्तान को हार मिली। 1999 में कारगिल में भी उसे मुंह की खानी पड़ी।

पंजाब और कश्मीर को सुलगाने का प्रयास करती रही है और इस काम में ISI उसकी मदद करती है। पाकिस्तान ने सबसे पहले पंजाब में खालिस्तान आंदोलन को सहायता दी, फिर कश्मीर में इस्लामी जिहाद चलाया। अब कश्मीर में भी आतंकी अपनी अंतिम सांसें गिन रहे हैं।

पाकिस्तान ने SIMI, हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों को भी सहायता दी और विफल रहा। पाकिस्तानी सेना केवल निर्दोष लोगों पर ही अपना दमखम दिखा सकती है।

परमाणु क्षमता वाला पाकिस्तान सीधी लड़ाई में किसी से नहीं जीत सकता। अपनी असलियत छिपाने के लिए उसने हमेशा लोकतंत्र का विरोध किया है और आधे समय सेना का शासन रहा है।

अपनी नाकामी को भारत के पाले में डाल रहा पाकिस्तान

बलूचिस्तान में ट्रेन हाईजैक की घटना में अपनी नाकामी छुपाने के लिए पाकिस्तान ने भारत का नाम लिया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत उनके मुल्क में आतंक फैलाता रहा है और जाफर एक्सप्रेस पर हमला अफगानिस्तान से करवाया गया था।

भारत ने आरोपों को नकार दिया है और कहा है कि आतंकवाद का केंद्र कहां है, यह पूरी दुनिया जानती है। भारत ने पाकिस्तान को अपनी आंतरिक समस्याओं और असफलताओं के लिए दूसरों पर उंगली उठाने के बजाय अपने अंदर झांकने को कहा है। अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान के आरोपों को नकारा है।

भारत पर आतंक का आरोप लगाने वाला पाकिस्तान अब भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि जम्मू-कश्मीर में 60 विदेशी आतंकी सक्रिय हैं, जो पाकिस्तानी हैं।

अगर पाकिस्तान को सही में आतंक से मुक्त होना है तो उसे अमेरिका की विदेश मंत्री के उस बयान को याद करना पड़ेगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि आप अपने घर के पिछवाड़े में सांप पाल कर यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वे केवल आपके पड़ोसियों को ही काटेंगे। अंततः वे सांप आप पर भी हमला करेंगे।

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