एक रहस्यमय धूमकेतु, जो संभवतः अरबों साल पहले किसी अन्य तारे के परिक्रमा तंत्र से आया है, हमारे सूर्य की ओर बढ़ रहा है. इसका नाम है 3I/ATLAS, और ये सौरमंडल के बाहर से आया तीसरा ज्ञात पिंड है.
वैज्ञानिकों ने इस धूमकेतु में चमकते हुए निकल (धातु) के वाष्प का पता लगाया है. चौकाने वाली बात यह है कि यह तब खोजा गया जब धूमकेतु सूर्य से इतनी दूर था जहाँ तापमान बेहद ठंडा है, जिससे निकल का वाष्प बनना असंभव प्रतीत होता है. यह खोज हमें दूसरे तारों के आसपास के ग्रहों की दुनिया के बारे में सुराग दे सकती है.
क्या यह धूमकेतु पृथ्वी से टकराएगा? इसका जवाब है, नहीं. 3I/ATLAS सूर्य के पास से सुरक्षित दूरी पर गुजरेगा. 29 अक्टूबर 2025 को ये सूर्य के सबसे करीब पहुंचेगा, लेकिन पृथ्वी इससे सुरक्षित रहेगी. धूमकेतु जैसे पिंडों के मार्ग की गणना पहले ही कर ली जाती है, और ATLAS जैसे सिस्टम संभावित टकरावों की चेतावनी देते हैं. यह वैज्ञानिकों के लिए एक अद्वितीय अवसर है, न कि कोई खतरा.
3I/ATLAS की खोज 1 जुलाई 2025 को चिली में स्थित एस्टरॉयड टेरेस्ट्रीयल-इम्पैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम (ATLAS) द्वारा की गई थी. ATLAS एक नियमित सर्वेक्षण कर रहा था जब उसने आकाश में एक चमकीली वस्तु को देखा. शुरुआती तौर पर इसे एक सामान्य धूमकेतु समझा गया, लेकिन जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि यह हमारे सौरमंडल के बाहर से आया हुआ एक अंतरिक्ष यात्री है.
इससे पहले भी दो ऐसे वस्तुएं खोजी गई थीं: रहस्यमयी ओउमुआमुआ (2017) और धूमकेतु बोरिसोव (2019). लेकिन 3I/ATLAS को बहुत जल्दी खोज लिया गया, जब यह सूर्य से काफी दूर था. इससे वैज्ञानिकों को इसे सक्रिय रूप से देखने का दुर्लभ अवसर मिला. ये वस्तुएं समय के कैप्सूल की तरह हैं, जो अरबों साल पुरानी जानकारी समेटे हुए हैं. ये हमें अन्य तारों के आसपास के गृह तंत्रों की रासायनिक और भौतिक संरचना के बारे में बता सकती हैं.
चिली के वेरी लार्ज टेलीस्कोप (VLT) का उपयोग करते हुए, वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने 3I/ATLAS का विस्तार से अध्ययन किया. 20 जुलाई को, उन्होंने पाया कि जब धूमकेतु सूर्य से 3.88 AU (खगोलीय इकाई, पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी) दूर था, तब भी निकल के परमाणु वाष्प के मजबूत संकेत मौजूद थे. इस दूरी पर तापमान -150 डिग्री सेल्सियस से कम है, जिस पर निकल को वाष्पीकृत नहीं होना चाहिए. यह गैस धूमकेतु के चारों ओर के पतले वातावरण (कोमा) में चमक रही थी.
वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि धूमकेतु से निकल के परमाणु तेजी से निकल रहे थे. जैसे-जैसे धूमकेतु सूर्य के करीब आ रहा था, निकल का उत्सर्जन 10-20 गुना तक बढ़ गया. आश्चर्यजनक रूप से, निकल के साथ आमतौर पर पाया जाने वाला लोहा (आयरन) अनुपस्थित था. मध्य अगस्त में, जब धूमकेतु सूर्य से 3.07 AU दूर था, तो सायनोजन (CN) गैस का पता चला, जो हमारे सौरमंडल के धूमकेतुओं में आम है.
यह खोज वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली है. धातुओं को गैसीय अवस्था में बदलने के लिए 1000 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान की आवश्यकता होती है, लेकिन 3I/ATLAS पर तापमान बहुत कम था. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि निकल कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) या अन्य कार्बनिक यौगिकों से बंधा हुआ है. सूर्य के प्रकाश (यूवी किरणें) इन अणुओं को तोड़ सकती हैं, जिससे निकल मुक्त हो जाता है.
यह भी आश्चर्यजनक है कि 3I/ATLAS में लोहा क्यों नहीं पाया गया. शायद अंतरिक्ष यात्रा के दौरान रासायनिक प्रक्रियाएं हुई होंगी जिससे निकल और लोहे का अलगाव हो गया.
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने भी 3I/ATLAS के कोमा को देखा. इसने पानी की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की उपस्थिति का खुलासा किया, जो हमारे सौरमंडल के धूमकेतुओं में आमतौर पर विपरीत होता है.
कुल मिलाकर, 3I/ATLAS एक रहस्यमय वस्तु है जो वैज्ञानिकों को हमारे सौरमंडल के बाहर की दुनिया के बारे में जानने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है. और सबसे जरूरी बात, यह धूमकेतु पृथ्वी के लिए कोई खतरा नहीं है.
🚨 3I/ATLAS MYSTERY DEEPENS 👁️
— Ezee (@EzeemmaCraic) October 27, 2025
BREAKING: Scientists have detected pure nickel gas — with ZERO iron — blasting from the interstellar object 3I/ATLAS.
This has NEVER been seen before in nature. Even comets and asteroids in our solar system don’t do this.
NASA is silent.… pic.twitter.com/EMt7aF80D0
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