चुनाव से पहले SIR की ज़रूरत क्यों पड़ी? ECI ने बताए मुख्य कारण
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चुनाव आयोग ने 12 राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषणा की है। इसका उद्देश्य मतदाता सूची में फर्जीवाड़े को रोकना और फर्जी मतदाताओं के नाम हटाना है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी।

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि एसआईआर का दूसरा चरण 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में चलाया जाएगा। इससे पहले बिहार चुनाव के दौरान वोटर लिस्ट रिवीजन किया गया था, जिस पर विवाद हुआ था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। इसमें करीब 65 लाख नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आधार को पहचान पत्र के तौर पर शामिल किया गया और नए नाम जोड़े गए।

देश में शहरीकरण और आबादी बढ़ने की वजह से बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश से लेकर देश के सभी बड़े राज्यों में जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। मतदाता सूची में घुसपैठ का मुद्दा भी उठता रहा है और एसआईआर इस मुद्दे से भी निपट सकती है।

चुनाव आयोग ने बताया कि कानून के मुताबिक मतदाता सूची में बदलाव करना होता है, हर चुनाव से पहले या जरूरत के हिसाब से। राजनीतिक पार्टियां रोल की क्वालिटी से जुड़े मुद्दे उठाती रही हैं। 1951 से 2004 तक 8 बार एसआईआर हो चुका है। पिछला एसआईआर 21 साल से भी पहले 2002-2004 में हुआ था।

मतदाता सूची में कई बदलाव इन वजहों से हुए हैं: बार-बार माइग्रेशन जिसकी वजह से वोटर एक से ज़्यादा जगहों पर रजिस्टर हो जाते हैं, मृत हुए वोटरों को न हटाना, किसी विदेशी का गलत तरीके से शामिल होना।

एसआईआर चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूची में सुधार की एक प्रक्रिया है, जिसमें वोटर लिस्ट अपडेट की जाती है। इसमें 18 साल से अधिक उम्र के नए मतदाताओं को जोड़ा जाता है। जिन लोगों की मौत हो चुकी है, या जो पलायन कर चुके होते हैं, उनके नाम हटाए जाते हैं। वोटर लिस्ट में नाम, पते और अन्य त्रुटियों को भी संशोधित करके ठीक किया जाता है। बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) खुद घर-घर जाकर फॉर्म भरवाते हैं। राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट इसमें बीएलओ की मदद करते हैं।

हर पोलिंग स्टेशन में लगभग 1,000 वोटर होते हैं। हर पोलिंग स्टेशन के लिए एक बीएलओ होता है। हर असेंबली सीट में कई पोलिंग स्टेशन होते हैं। हर असेंबली सीट के लिए एक इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ईआरओ) होता है। ईआरओ एक सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) लेवल का ऑफिसर होता है, जो ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल तैयार करता है, क्लेम और ऑब्जेक्शन लेता है और उन पर फैसला करता है, और फाइनल इलेक्टोरल रोल तैयार करके पब्लिश करता है। हर तहसील के लिए असिस्टेंट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (एईआरओ) होता है।

डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ईआरओ के फैसले के खिलाफ पहली अपील सुनता है। राज्य/UT का CEO डीएम के फैसले के खिलाफ दूसरी अपील सुनता है।

चुनाव आयोग के अनुसार, ऑल इंडिया एसआईआर की कवायद चरणबद्ध तरीके से देश भर में की जाएगी। प्रथम चरण में विधानसभा चुनाव वाले राज्यों समेत 10 प्रांतों को शामिल किया जाएगा। इनमें पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी शामिल हो सकते हैं। फिर आगे अन्य राज्यों में वोटर लिस्ट रिवाइज की जाएगी। जिन राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां पर वोटर लिस्ट की समीक्षा आयोग की प्राथमिकता होगी। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे राज्य जहां पर स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं वहां अभी एसआईआर नहीं किया जाएगा।

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