क्या सरफराज खान की अनदेखी धर्म के कारण? मुस्लिम नेताओं के आरोपों से गरमाई सियासत
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भारत की सीनियर राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में सरफराज खान के चयन न होने पर विवाद गहराता जा रहा है. मुस्लिम नेताओं ने कोच गौतम गंभीर पर धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाया है.

यह विवाद तब शुरू हुआ जब इंडिया ए स्क्वाड के लिए सरफराज का नाम शामिल नहीं किया गया. इसके बाद से ही घरेलू क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाले इस बल्लेबाज के साथ कथित अन्याय पर बहस छिड़ गई.

कांग्रेस की प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी, लेकिन बाद में कांग्रेस ने उनके बयान से किनारा कर लिया. वहीं, सपा नेता सरफराज के समर्थन में खड़े दिखाई दिए.

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने शमा मोहम्मद के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, राजनीति का क्रिकेट से कोई लेना-देना नहीं है. हमारी टीम में मुसलमान खिलाड़ी हैं जो देश का नाम रोशन कर रहे हैं. मैं उनके बयान से सहमत नहीं हूं.

सपा नेता अबू आसिम आज़मी ने कहा, यह सच है कि मुसलमानों के साथ हर क्षेत्र में सम्मान का अभाव है. उन्हें नमाज अदा करने तक की अनुमति नहीं है. जो खिलाड़ी अच्छा खेल रहे हैं, उन्हें धर्म की परवाह किए बिना मौका मिलना चाहिए.

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सरफराज खान के चयन न होने पर सवाल उठाए थे. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान ने कहा, ओवैसी साहब ने सवाल पूछा है कि सरफराज को इंडिया ए टीम में क्यों नहीं चुना गया. उनका औसत पिछले पांच सालों में 110.47 है, 10 शतक, 5 अर्धशतक और 2,500 रन बनाए हैं. पहले उन्हें अनफिट बताया गया, अब उन्होंने 17 किलो वजन घटाया और फिट हैं, फिर भी उन्हें मौका क्यों नहीं दिया गया. पूरा देश पूछ रहा है. क्या यह उनके सरनेम के कारण है?

पूर्व क्रिकेटर अतुल वासन ने इस मामले पर दुख जताते हुए कहा, मुझे लगता है कि क्रिकेट सिस्टम के हिस्से के रूप में, एक पूर्व खिलाड़ी के रूप में मुझे शर्म महसूस होती है कि किसी पार्टी प्रवक्ता ने ऐसा कहा. हमारे पड़ोसियों को देखो, कैसे खिलाड़ियों को जीवित रहना पड़ा. किसी को जीने के लिए धर्म बदलना पड़ा. हिंदू खिलाड़ियों को अलग किया गया. ऐसा यहां कभी नहीं हुआ.

वासन ने आगे कहा, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. जब भी खेल में साम्प्रदायिक कार्ड खेला जाता है, मुझे अंदर से बुरा लगता है. मैंने क्रिकेट खेला, हमने कभी किसी खिलाड़ी को उनके समुदाय के आधार पर नहीं देखा. सरफराज वहां होना चाहिए था. यह पूरी तरह से क्रिकेटिंग मुद्दा है, जिसे हम सेलेक्टर की राय से अलग देख सकते हैं. लेकिन किसी समुदाय के आधार पर इस तरह का माहौल देना भारतीय क्रिकेट सिस्टम का अपमान है. यह मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है और देखना होगा कि आगे क्या होता है.

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