बिहार चुनाव 2025: क्या अशोक गहलोत सुलझा पाएंगे महागठबंधन की उलझन?
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बिहार विधानसभा चुनाव में अब बड़े नेताओं का दखल शुरू हो गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पटना पहुंचे।

उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू यादव से मुलाकात की। मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि महागठबंधन में कोई विवाद नहीं है, सब कुछ ठीक चल रहा है।

गहलोत ने कहा कि इतने बड़े गठबंधन में पांच-दस सीटों पर विवाद होना कोई बड़ी बात नहीं है। किसी भी प्रदेश में गठबंधन होता है तो कुछ सीटों पर ऐसी स्थिति आती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि एक-दो दिनों में जो भी असमंजस की स्थिति है, वह स्पष्ट हो जाएगी।

यह बैठक महागठबंधन में चल रहे विवादों के बीच हुई। कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और अशोक गहलोत ने लालू यादव और तेजस्वी यादव से चर्चा की।

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की तारीख निकल चुकी है, फिर भी महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। बिहार में कई ऐसी सीटें हैं जहां महागठबंधन में शामिल दो दल अपने-अपने उम्मीदवार उतार चुके हैं। ऐसे हालात में कार्यकर्ता भी परेशान हैं कि वे किसका समर्थन करें - पार्टी के उम्मीदवार का या महागठबंधन के उम्मीदवार का।

बताया जा रहा है कि बिहार में 243 विधानसभा सीटों के लिए महागठबंधन के घटक दलों ने 256 उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। राजद ने 143 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं, जबकि कांग्रेस ने 61 उम्मीदवार घोषित किए हैं। विकासशील इंसान पार्टी ने 15 उम्मीदवारों की सूची जारी की है। वामपंथी दलों ने भी कई क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारे हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण 6 नवंबर को और दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा। मतगणना 14 नवंबर को होगी। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच माना जा रहा है।

अशोक गहलोत को जादूगर के नाम से जाना जाता है। राजनीति में आने से पहले वे पेशेवर जादूगर थे। उनके पिता भी जाने-माने जादूगर थे। उन्हें जादूगर इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि कई बार जब किसी राज्य में कांग्रेस की सरकार अस्थिर होती है, तो पार्टी उन्हें ही हालात को संभालने के लिए भेजती है और हर बार वे पार्टी के लिए अच्छी खबर लेकर आते हैं।

इस बार, बिहार में चुनाव से पहले महागठबंधन में जिस तरह का माहौल बना हुआ है और जनता के बीच जो संदेश जा रहा है, उसे रोकने और चुनाव में पार्टी के लिए माहौल बनाने के लिए कांग्रेस ने उन्हें पटना भेजा है।

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