तेजस्वी यादव के जीविका दीदियों को स्थायी नौकरी के वादे पर बीजेपी का पलटवार
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पटना: आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बुधवार को जीविका दीदियों (कम्युनिटी मोबिलाइजर) को स्थायी करने और उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने का ऐलान किया है. साथ ही, उन्होंने उन्हें 30 हजार वेतन देने और प्रदेश में कार्यरत सभी संविदाकर्मियों को भी स्थायी करने का वादा किया.

तेजस्वी यादव ने कहा कि विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण झेल रहे संविदाकर्मियों को अब एक साथ स्थायी किया जाएगा.

इस पर पलटवार करते हुए बिहार सरकार के मंत्री और बीजेपी नेता नितिन नवीन ने कहा कि तेजस्वी यादव पिछले एक सप्ताह से सोए हुए थे. उन्होंने कहा कि जनता ने तो उन्हें कभी गंभीरता से नहीं लिया, पार्टी के लोग भी नहीं लेंगे.

नितिन नवीन ने कहा कि जीविका का समूह एक दिन में नहीं बना है. इसे बनाने में नीतीश कुमार की सरकार ने लगातार प्रयास किया. उन्होंने आरोप लगाया कि आरजेडी के समय में महिलाएं घर की दहलीज से निकलने से डरती थीं. आज महिलाएं निकलकर व्यवसाय कर रही हैं, यह नीतीश कुमार और एनडीए की सरकार की देन है.

उन्होंने सवाल किया कि जिन महिलाओं को 10 हजार दिए जा रहे हैं, उसका स्ट्रक्चर लालू यादव ने बनाया है क्या? उनके 15 साल के कार्यकाल में महिलाओं का एक भी समूह बना था क्या? आज बिहार में 80 लाख से ऊपर समूह बने हैं, यह नीतीश कुमार की देन है.

उन्होंने कहा कि जनता अगर जमीन पर काम देखती है, तब वोट करती है. 10 हजार देने के साथ जब उनका रोजगार सफल होगा, तो 6 महीने के अंदर वे दो लाख देंगे. तेजस्वी यादव जी, यहां पर रोड मैप है और पूरा विजन है.

नितिन नवीन ने तेजस्वी यादव पर हमला करते हुए कहा कि वे अपने विजन की बात करते हैं, लेकिन चरवाहा विद्यालय भूल गए. उन्होंने कभी बिहार में इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज की चिंता की थी क्या? आज बिहार के हर जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज है और एक दर्जन से अधिक मेडिकल कॉलेज हैं. तेजस्वी यादव ने तो बिहार के युवाओं को पलायन के लिए मजबूर किया. उन्होंने बंदूक थमाया, जबकि वर्तमान सरकार ने कलम थमाया.

उन्होंने कहा कि बिहार के लोग लैंड फॉर जॉब मामले को भूले नहीं हैं, जिसमें रेलवे की नौकरी के लिए जमीन लिखवा ली गई. जिस तरह से तेजस्वी यादव ने हर घर में एक सरकारी नौकरी की घोषणा की है, उस हिसाब से हर घर से जमीन जानी तय है. कोई अपनी जमीन बेचकर उनसे नौकरी लेने नहीं आ रहा है.

(अजीत कुमार, पटना)

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