नक्सल प्रभावित क्षेत्र से उम्मीद की किरण: ITBP प्रशिक्षित 10 आदिवासी छात्रों ने SSC और कांस्टेबल परीक्षा में पाई सफलता
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छत्तीसगढ़ के एक दूरस्थ गांव के 10 आदिवासी युवाओं ने सफलता की नई कहानी लिखी है। उन्होंने नक्सल विरोधी अभियानों में शामिल भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) बटालियन से दो साल का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) और राज्य पुलिस कांस्टेबल परीक्षा में सफलता हासिल की है।

यह सफलता महाराष्ट्र की सीमा से लगे मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले की है। यह क्षेत्र नक्सली हिंसा से प्रभावित है और महाराष्ट्र के वामपंथी उग्रवाद प्रभावित गढ़चिरौली जिले और छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव, बस्तर और कांकेर जिलों से सटा हुआ है।

लगभग दो साल पहले, राजधानी रायपुर से लगभग 200 किलोमीटर दूर औंधी गांव में स्थित 27वीं आईटीबीपी बटालियन के ‘कंपनी ऑपरेटिंग बेस’ (सीओबी) ने स्थानीय आदिवासी युवाओं के लिए करियर परामर्श और शारीरिक प्रशिक्षण सत्र शुरू किए।

23-25 वर्ष आयु वर्ग के इन युवाओं ने उत्कृष्ट दृढ़ संकल्प दिखाया, आईटीबीपी प्रशिक्षकों के साथ कड़ी मेहनत की और पुलिस कांस्टेबल की भर्ती के लिए हाल में कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) और छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा आयोजित लिखित और शारीरिक परीक्षा उत्तीर्ण की।

अंतिम योग्यता सूची अभी प्रकाशित नहीं हुई है। औंधी में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान 27वीं आईटीबीपी बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर विवेक कुमार पांडे और जिला पुलिस अधीक्षक वाई पी सिंह ने इन युवाओं को सम्मानित किया।

अधिकारी ने कहा, स्थानीय आदिवासी युवाओं की यह उपलब्धि उस क्षेत्र की मानसिकता में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है जो वामपंथी उग्रवाद के खतरे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। सरकार ने मार्च 2026 तक देश से माओवाद को समाप्त करने की घोषणा की है।

छात्रों का मार्गदर्शन करने के अलावा आईटीबीपी कर्मियों ने उन्हें अध्ययन सामग्री, वित्तीय सहायता और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी प्रदान कीं।

सफल परीक्षार्थियों में शामिल नयन कुमार बनसोडे ने कहा, आईटीबीपी कर्मियों ने हमारा हाथ थामकर मार्गदर्शन किया ताकि हम यह सफलता हासिल कर सकें। उन्होंने हमें अध्ययन सामग्री, धन और अन्य सहायता भी दी ताकि हम समाज में अपना स्थान पा सकें और राष्ट्र की सेवा करने में मदद कर सकें।

यह क्षेत्र अतीत में वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं से प्रभावित रहा था जिसमें जुलाई 2009 का नक्सली हमला भी शामिल है, जिसमें तत्कालीन पुलिस अधीक्षक वी के चौबे और 28 अन्य पुलिसकर्मी मारे गए थे।

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