वोटों से रोका गया, EVM से हुई छेड़छाड़: अभिषेक बनर्जी की जीत पर मालवीय का बड़ा आरोप
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भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद अभिषेक बनर्जी की डायमंड हार्बर सीट से हुई रिकॉर्ड जीत पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे जनता का समर्थन नहीं, बल्कि संगठित चुनावी लूट का परिणाम बताया है।

मालवीय ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि पूर्व प्रेसीडिंग ऑफिसर स्वपन मंडल के खुलासे से साफ हो गया है कि यह रिकॉर्ड जीत प्रणालीगत धांधली का नतीजा है। उन्होंने कहा कि यह घटना चुनावी प्रक्रिया पर प्रश्न चिह्न लगाती है और टीएमसी के लोकतंत्र के प्रति खुले अपमान को उजागर करती है।

स्वपन मंडल के अनुसार, डायमंड हार्बर में चुनाव के दौरान सुनियोजित तरीके से विपक्षी दल के मतदाताओं को मतदान से रोका गया। मंडल के मुताबिक, कई मतदाताओं को घरों में बंद रखा गया और जो बूथ तक पहुंचे, उन्हें जबरन बाहर निकाल दिया गया।

मालवीय ने ईवीएम मशीनों में छेड़छाड़ का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि विपक्षी उम्मीदवारों के बटन पर काला टेप चिपकाया गया था, जिससे वे दब नहीं पाते थे और केवल टीएमसी का बटन ही काम कर रहा था।

इसके अलावा, प्रॉक्सी वोटिंग और फर्जी मतदान भी बड़े पैमाने पर हुआ। मृत व्यक्तियों और बाहर काम करने गए प्रवासियों के नाम पर वोट डाले गए।

अमित मालवीय ने सवाल किया कि अगर सब कुछ पारदर्शी है तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया का विरोध क्यों कर रही हैं?

मालवीय के मुताबिक, स्वपन मंडल ने खुलासा किया है कि डायमंड हार्बर जैसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मृत, अनुपस्थित और संदिग्ध मतदाता सूची में शामिल हैं, जिससे टीएमसी का वोट प्रतिशत कृत्रिम रूप से बढ़ाया जा रहा है।

मालवीय ने कहा कि अगर SIR के जरिए मतदाता सूची की पूरी तरह से सफाई हो गई, तो टीएमसी की फर्जी बढ़त का आधार ही खत्म हो जाएगा। उन्होंने दावा किया कि ममता बनर्जी इस प्रक्रिया का विरोध इसलिए कर रही हैं, क्योंकि यह उनके लूटतंत्र की जड़ें हिला देगा।

अमित मालवीय ने कहा कि डायमंड हार्बर कोई अलग मामला नहीं है, बल्कि टीएमसी के 2026 विधानसभा चुनाव की रणनीति का मॉडल है। लोकतंत्र की बहाली के लिए इस लूट मॉडल को खत्म करना जरूरी है।

मालवीय ने कहा कि बंगाल में सच्चे अर्थों में लोकतंत्र को बचाने के लिए एक पारदर्शी और निष्पक्ष वोटर लिस्ट जांच (SIR) सुनिश्चित करनी होगी, ताकि बंगाल के लोगों का असली जनादेश सामने आ सके। उन्होंने इसे बंगाल की जनता की लोकतांत्रिक प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने की लड़ाई बताया।

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