वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में धनतेरस के दिन एक बड़ा घटनाक्रम हुआ। 54 वर्षों से बंद पड़ा तोषखाना (खजाना कक्ष) सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित हाई पावर कमेटी की निगरानी में खोला गया। यह कदम बांके बिहारी के भक्तों और गोस्वामी समाज के लिए एक अहम मोड़ है।
यह कक्ष मंदिर के गर्भगृह के पास स्थित है। इसमें मौजूद अमूल्य आभूषण, संपत्ति और ऐतिहासिक दस्तावेज़ों की जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लंबे समय से बंद पड़े इस तोषखाने के खुलने की प्रक्रिया को लेकर लोगों में उत्सुकता थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की संपत्ति का ऑडिट, मूल्यांकन और खजाने का खुलना पूरी पारदर्शिता के साथ सुनिश्चित करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की थी। मंदिर प्रशासन के अनुसार, तोषखाने में ठाकुर जी के अमूल्य आभूषण और महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होने की संभावना है, जिन्हें एक लकड़ी के संदूक में पाया गया है।
संपत्ति की सूची विधिवत रूप से बनाई जा रही है और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जा रही है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य किसी भी प्रकार के संदेह को दूर रखना है।
हालांकि, गोस्वामी समाज के प्रतिनिधियों ने इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। श्री बांके बिहारी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर गोस्वामी अनंत श्रीहरिदास ने कहा कि यह प्रक्रिया चुनिंदा लोगों तक ही सीमित है, जबकि इसे सभी सेवायतों और मीडिया के सामने होना चाहिए था।
गोस्वामी समाज के प्रतिनिधि रजत गोस्वामी ने कहा कि इतने वर्षों के बाद खजाना खोला जा रहा है, इसलिए इसे बंद कमरे में नहीं बल्कि सभी के सामने किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि मीडिया को प्रक्रिया से दूर रखना उचित नहीं है।
श्रीहरिदास ने यह भी कहा कि बांके बिहारी मंदिर की भक्ति और आकर्षण केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। दुनिया भर से श्रद्धालु वृंदावन आते हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई ने श्रद्धालुओं और गोस्वामी समाज को ठेस पहुंचाई है।
मंदिर प्रशासन और कोर्ट द्वारा गठित समिति ने आरोपों का खंडन किया है। एडीएम पंकज वर्मा ने स्पष्ट किया कि संपत्ति की सूची बनाते समय और वीडियोग्राफी करते समय सुरक्षा और गोपनीयता का ध्यान रखा जा रहा है। संपत्ति का पूर्ण विवरण और मूल्यांकन होने के बाद ही जानकारी सार्वजनिक की जाएगी।
हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने बताया कि उनकी समिति संपत्ति का ऑडिट और मूल्यांकन कर रही है। उन्होंने कहा कि तोषखाने में मौजूद संपत्ति की वैधता और ऐतिहासिक महत्व का ध्यान रखते हुए सभी प्रक्रियाएँ पूरी पारदर्शिता के साथ की जा रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट का उद्देश्य मंदिर की संपत्ति का मूल्यांकन, ऑडिट और खजाना खोलने की प्रक्रिया सभी नियमों और पारदर्शिता के अनुरूप सुनिश्चित करना है। अब देखना यह है कि गोस्वामी समाज की आपत्तियों पर क्या प्रतिक्रिया होती है और आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।
*मथुरा वृंदावन:
— India News UP/UK (@IndiaNewsUP_UK) October 18, 2025
बांके बिहारी मंदिर का खजाना खोलने की हलचल तेज।
आज धनतेरस के दिन, 54 साल बाद बांके बिहारी का खजाना खुलेगा।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर्ड कमेटी ने 18 सितंबर को खजाना खोलने के लिए समिति बनाई थी।
खजाना खोलने के लिए प्रशासन, पुलिस, वन विभाग और फायर विभाग की टीम… pic.twitter.com/FjbPDEdKFm
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