भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण को बेल्जियम की अदालत ने मंजूरी दे दी है। एंटवर्प कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में बेल्जियम के अधिकारियों द्वारा उसकी गिरफ्तारी को भी वैध करार दिया है। यह फैसला पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में उसकी वापसी सुनिश्चित करने के लिए भारत के लंबे समय से जारी प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हालांकि, एंटवर्प अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि चोकसी को तुरंत भारत नहीं भेजा जाएगा, क्योंकि उसके पास उच्च न्यायालय में इस निर्णय के खिलाफ अपील करने का अधिकार है। भारतीय अधिकारियों के औपचारिक अनुरोध पर चोकसी को एंटवर्प पुलिस ने 11 अप्रैल, 2025 को गिरफ्तार किया था। तब से वह बेल्जियम की एक जेल में बंद है, जहां उसकी कई जमानत याचिकाएं इस आधार पर खारिज कर दी गईं कि उसके भागने का खतरा है। अदालत का फैसला अब उसकी नजरबंदी की शर्तों और प्रत्यर्पण के बाद निष्पक्ष सुनवाई के बारे में भारत के आश्वासनों पर केंद्रित हो गया है।
गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पहले ही बेल्जियम साम्राज्य के न्याय मंत्रालय और उसके न्यायिक अधिकारियों को एक व्यापक आश्वासन पत्र भेजा था। इस दस्तावेज में प्रत्यर्पण कार्यवाही के दौरान उठाई गई मानवाधिकार संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए भारत में चोकसी की हिरासत को नियंत्रित करने वाले विशिष्ट भौतिक, चिकित्सा और प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का विस्तृत विवरण दिया गया है।
गृह मंत्रालय के अनुसार, चोकसी को मुंबई की आर्थर रोड जेल के बैरक नंबर 12 में रखा जाएगा, जो अहिंसक और सफेदपोश अपराधियों के लिए आरक्षित है। इस जेल में पर्याप्त निजी स्थान, हवादार कोठरी, 24x7 चिकित्सा देखभाल, संलग्न स्वच्छता सुविधाएं और सीसीटीवी निगरानी सहित कई सुरक्षा उपाय उपलब्ध हैं। कैदियों को दिन में तीन बार भोजन, व्यायाम करने की जगह, मनोरंजन और कानूनी परामर्श की सुविधा भी दी जाती है।
भारत सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि चोकसी की चिकित्सा आवश्यकताओं का पूरा ध्यान रखा जाएगा और पास ही स्थित सर जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स में विशेष देखभाल और उपचार की व्यवस्था की जाएगी। पारदर्शिता और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक पर्यवेक्षण के साथ-साथ राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोगों (एनएचआरसी/एसएचआरसी) की निगरानी व्यवस्था पर भी जोर दिया गया है।
चोकसी और उसके भतीजे नीरव मोदी पर भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक को अंजाम देने का आरोप है, जिसमें फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के जरिए पंजाब नेशनल बैंक से 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी की गई। दोनों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत कई आरोप हैं।
Belgian Court clears extradition of fugitive Diamantaire Mehul Choksi to India
— ANI Digital (@ani_digital) October 17, 2025
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